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432 करोड़ की नर्मदा शिप्रा लिंक योजना से उज्जैन प्यासा, अब 139 करोड़ रूपये की नई योजना


संदीप कुलश्रेष्ठ

देश भर में बड़े जोर शोर से प्रचार प्रसार कर यह कहा गया था कि 432 करेड़ रूपये की नर्मदा शिप्रा लिंक योजना से उज्जैन को ही नहीं बल्कि आस पास के शहर और गांवों को भी पर्याप्त पेयजल मिलेगा। इसके साथ ही उज्जैन, देवास और आसपास के शहरों के उद्यानों को भी पर्याप्त पानी मिलेगा। किंतु यह योजना पूरी हो जाने के बाद इससे कोई विशेष लाभ नहीं मिल पाया है। इस भारी भरकम योजना का केवल सिंहस्थ में पर्व और शाही स्नान के दिन ही लाभ मिल पाया । अब फिर 139 करोड़ रूपये की योजना नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण ने बनाई है। इस योजना में शिप्रा के उद्गम स्थान उज्जैनी से उज्जैन तक पाइप लाईन डालकर उज्जैन को पीने का पानी दिया जाएगा ।
व्यर्थ गए 432 करोड़ -
                     देश में सबसे पहले मध्यप्रदेश में नर्मदा शिप्रा लिंक योजना के रूप में ख्याति प्राप्त इस योजना में लगाए गए 432 करोड़ रूपये बेकार गए है। इससे उज्जैन और आस पास के क्षेत्रों में न तो पीने का पानी उपलब्ध करवाया जा रहा है और न ही किसी भी उद्योगों को पानी उपलब्ध करवाया जा रहा है। इस प्रकार  एनवीडीए की यह योजना टांई टांई फीस हो गई है।
अब फिर 139 करोड़ रूपये का भार -
                    एनवीडीए ने अब फिर से एक नई योजना बनाकर मुंबई की जेएमसी कंपनी को ठेका दिया है। कुल 139 करोड़ रूपये की योजना का भार उज्जैन की जनता को भुगतना पड़ेगा। इस एजेंसी को जनवरी 2019 तक इस कार्य को पूरा करना है। कुल 78 किलोमीटर क्षेत्र में 1500 मिली मीटर व्यास की पाईप लाईन डाली जाएगी। इस पाईप लाईन से जल निगम के ग्रुप क्लस्टर के लिए भी आउटलेट होने के दावे किए जा रहे है। इससे बीच के ग्रामीण क्षेत्र में पेयजल के लिए पानी दिए जाने का फिर से वादा किया जा रहा है। इस योजना में यह भी कहा जा रहा है कि उज्जैनी से उज्जैन में डाली जाने वाली पाईप लाईन में ग्रेविटी से पानी आएगा। इससे बिजली खर्च भी कम होगा।  किंतु इस मामले में अधिकारियों का दूसरा ही मत है। उनका कहना है कि ऐजेंसी के सर्वे में यदि कहीं पानी लिप्त करने की जरूरत होगी। तो वहां पंपिंग स्टेशन भी बनाया जा सकता  है।
                    एनवीडीए ने उज्जैन को पीने का पानी देने के लिए शिप्रा के उद्गम स्थान उज्जैनी से उज्जैन शहर तक पाईप लाइन डालने की योजना बनाई है। इस योजना के अंतर्गत शिप्रा टेकरी उज्जैनी से उज्जैन के गऊघाट फिल्टर प्लांट तक पाईप लाईन डालकर सीधे फिल्टर प्लांट को पानी दिया जाएगा। इससे नर्मदा का पानी फिल्टर कर शहर में सप्लाई किया जाएगा। नगर निगम जब पानी की डिमांड करेगा। उसे इस पाईप लाइन से पानी एनवीडीए देगा। इस योजना में उज्जैन को पीने के लिए 190 एमएलडी प्रति सेकंड नर्मदा का पानी मिलने लगेगा।
शहरवासियों को बड़ी दर से चुकानी पड़ेगी पीने के पानी की कीमत -                  
                   अभी एकेवीएन की दिल्ली-बंबई इंडस्ट्रीयल कॉरिडोर पर स्थित विक्रम उद्योगपुरी में सड़क, बिजली, पाईप लाईन, टंकी और अन्य विकास कार्य कराए जा रहे हैं। इसे एनवीडीए की पाईप लाईन से जोड़ा जाएगा। एनवीडीए और एकेवीएन के बीच हुए अनुबंध में प्रति हजार लीटर पानी का शुल्क 22 रूपये 60 पैसे तय हुआ है। इसी दर से एनवीडीए बिलिंग करेगा। शहर को मिलने वाले पानी की कीमत भी इसी दर से वसूली जा सकती है।
नरवर के उद्योगों को पानी देने का फिर से लालच -
                    नरवर के उद्योगों को भी पानी देने का लॉलीपॉप दिया जा रहा है। इस योजना से नरवर के समीप विकसित हो रहे उद्योगों को भी पानी दिया जाएगा। इस संबंध में एकेवीएन और एनवीडीए के बीच 11 एमएलडी पानी देने का अनुबंध भी हो चुका है। इसी योजना में यह भी प्रावधान किया जा रहा है कि आईआईटी इंदौर और पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र को भी एनवीडीए पानी उपलब्ध करवाएगा।
भुलावा साबित हुई घोषणाएँ -
                     पाठकों को याद होगा कि नर्मदा-शिप्रा लिंक योजना में यह कहा गया था कि उज्जैन को अब कभी पीने के पानी की समस्या नहीं आएगी। उज्जैन ही नहीं बल्कि उज्जैन के साथ ही देवास और आस पास के नगरों और गांवों को भी पीने का पानी उपलब्ध करवाया जाएगा। यहीं नहीं नर्मदा शिप्रा लिंक योजना में आस पास के आने वाले क्षेत्रों में उद्योगों को भी पर्याप्त पानी दिया जाएगा। किंतु यह दोनों ही बातें भुलावा साबित हुई है। अब फिर से एक नई योजना पेश की जा रही हैं। इसमें भी उज्जैन को पीने का पानी और नरवर और आस पास के उद्योगों को पानी दिए जाने की आशा जगाई जा रही है ।  देखिए, आगे क्या होता है ?
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