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दिल्ली एनसीआर में दिवाली पर पटाखों की बिक्री पर रोक, फुलझड़ी, चकरी, अनार पर मिलनी चाहिए छूट


डॉ. चंदर सोनाने
                  सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिल्ली और एनसीआर में इस वर्ष दिवाली पर पटाखों की बिक्री पर रोक लगा  दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने 31 अक्टूबर तक यहाँ पर पटाखें बेचने पर रोक लगा दी है। जो लोग पहले से पटाखें खरीद चुके है वे फोड सकेंगे। किंतु यहाँ यह सोचने वाली बात है कि बिना पटाखों के दिवाली कैसी ? यह तो वैसा ही हुआ जैसे  बिना ट्री के क्रिसमस और बकरे की कुर्बानी दिए बिना बकरीद मनाना । इसलिए सुप्रीम कोर्ट को चाहिए कि कम आवाज और कम प्रदूषण वाले पटाखों पर जैसे फुलझड़ी, चकरी , अनार आदि पर  छूट देना चाहिए, ताकि लोग खुशी का यह त्यौहार मना सके।
                     सुप्रीम कोर्ट ने डेढ़ से दो साल की उम्र के तीन बच्चों  के द्वारा दायर की गई याचिका पर यह निर्णय लिया है। इस याचिका में साफ हवा में सांस लेने के अधिकार की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट से निर्णय देने की मांग की गई थी। इस याचिका में दशहरा और दिवाली जैसे त्योहार पर पटाखों की बिक्री पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया था। इन तीन बच्चों अर्जुन गोपाल, आरव भंडारी और जोया राव की और से उनके पिताओं ने दायर याचिका में कहा है कि दिल्ली में वायु प्रदूषण के कारण हालात अत्यधिक खराब हो रहे हैं।
                      उल्लेखनीय है कि पिछले साल 11 नवंबर को दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में पटाखों की बिक्री पर सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी। इस साल 12 सितंबर को इसमें छूट दी गई । पर बच्चे फिर कोर्ट पहुंच गए । उसके बाद यह नया आदेश आया। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को दिल्ली और एनसीआर में पटाखों की बिक्री के लिए कोई नया लाइसेंस नही देने और पुराने लाइसेंस निलंबित करने के आदेश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट के यह आदेश इन्ही तीन बच्चों की याचिका पर सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने पटाखो के लाइसेंस पर लगी रोक को अंतरिम रूप से हटाया है। कोर्ट ने कहा है कि दिवाली के बाद एयर क्वालिटी को देखते हुए कोर्ट सुनवाई करेगा।
                    सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्णय किया है कि साइलेंस जोन के 100 मीटर के भीतर पटाखें नहीं जलाए जाएँगे। यानी अस्पताल ,धार्मिल स्थल , स्कूल आदि के 100 मीटर के दायरे में पटाखें नहीं जलाए जाएँगे। इसके साथ ही कोर्ट ने पटाखें बनाने में लिथियम, लेड, पारा, एंटीमोनी और आर्सेनिक का इस्तेमाल नहीं करने के निर्देश भी दिए हैं।
                     उल्लेखनीय है कि गत वर्ष दिवाली के बाद दिल्ली और एनसीआर में आठ दिन तक धुआं छाया रहा था । प्रदूषण ने पिछले तीन साल के रिकार्ड तोड दिए थे। दिल्ली की हवा में पीएम 2.5 की मात्रा 1238 दर्ज की गई थी । इसका लेवल 0 से 60 के प्रति सुरक्षित माना जाता है। दिल्ली में वायु प्रदूषण का यह स्तर साठ गुना तक बढ़ गया था। देश की 10 सबसे प्रदूषित जगहों में से 8 स्थान दिल्ली एनसीआर के थे। दिल्ली के क्लासरूम में उस समय मास्क तक पहनना पड़ा था। इसके कारण उस समय दिल्ली एनसीआर के करीब 1800 स्कूल बंद करने पड़े थे। ऐसा देश में पहली बार हुआ था। दिवाली पर मेट्रो शहरों में वायु प्रदूषण साठ गुना तक बढ़ जाता है । यह बेहद ही खतरनाक स्थिति है। ऐसे में एक शख्स के शरीर में 40 सिगरेट जितना धुंआ चला जाता है। इससे अस्थमा और हार्ट से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। यह प्रदूषण केंसर तक पैदा करने की क्षमता रखता है। इस प्रदूषण से बच्चों के फेफड़ों के विकास में बाधा भी आ सकती है। पटाखें के कारण दिल्ली में 125 डेसीबल तक इसका शोर पहुंच जाता है। यह किसी को बहरा करने के लिए काफी है। इससे बीपी और हार्टअटैक का भी खतरा रहता है। दिवाली पर दिल्ली में 50 लाख किलोग्राम तक पटाखें छोड़े जाते है।
                   अब सुप्रीम कोर्ट यह देखेगा कि बिना आतिशबाजी के दिल्ली की आबो हवा कितनी साफ है। निश्चित रूप से सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कारण दिल्ली के प्रदूषण की मात्रा घटेगी। निसंदेह सुप्रीम कोर्ट का यह प्रयास सराहनीय है। और यह व्यक्ति के जीवन से सीधा जुड़ा है। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय का स्वागत किया जाना चाहिए । किंतु , उसे यह भी देखना चाहिए कि कम आवाज व कम प्रदूषण वाले ऐसे कौन से पटाखे हैं , जिसके चलाने से कम से कम प्रदूषण होता हैं और जिससे स्वास्थ्य पर कम से कम असर पड़ता है, ऐसे पटाखों के उपयोग के लिए छूट भी दी जाने की आवश्यकता है।

 

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