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अमेरिका ने रूस के सैन्‍य साजोसामान के निर्यात पर लगाया प्रतिबंध, भारत-रूस की रक्षा सौदों पर संकट



भारत और रूस इस साल अक्तूबर में 39,800 करोड़ रुपये से अधिक के एस-400 मिसाइल रक्षा कवच सौदे पर हस्ताक्षर करने की तैयारी में हैं। लेकिन इस पर अमेरिकी प्रतिबंध का ग्रहण लगता दिख रहा है। अमेरिका ने रूसी सैन्य साजोसामान के निर्यात पर प्रतिबंध लगा रखा है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले साल अगस्त में इस आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके मुताबिक, अगर कोई भी देश रूस से साथ रक्षा और खुफिया क्षेत्र में काम करेगा तो उसे भी प्रतिबंध झेलने होंगे। दरअसल, यह कानून रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को सजा देने के लिए लाया गया है। रूस पर 2014 में क्रीमिया पर कब्जा करने, सीरिया के गृहयुद्ध में शामिल होने और अमेरिका के 2016 के चुनाव में दखल देने का आरोप है।  
विशेषज्ञों के अनुसार, इस फैसले के बाद दुनिया के दूसरे सबसे बड़े हथियार निर्यातक रूस से हथियार खरीदने वाले अमेरिका के सहयोगी देशों को परेशानी हो सकती है। इस झटके का सबसे ताजा उदाहरण भारत है। भारत रूस से लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली 5 मिसाइल प्रणाली एस-400 खरीदना चाहता है। यह प्रणाली चीन के स्टील्थ विमानों और बैलेस्टिक मिसाइलों से सुरक्षा करने में सक्षम है। भारतीय सेना के मुताबिक, यह मिसाइल डिफेंस सिस्टम सेना के लिए गेम चेंजर हो सकता है।

इस खरीद से जुड़े दो अधिकारियों ने दिल्ली में बताया कि 2016 में अंतर-सरकारी समझौते के तैर पर राष्ट्रपति पुतिन और पीएम नरेंद्र मोदी ने इस सौदे पर हस्ताक्षर किए थे। अब अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते यह सौदा टल सकता है।  अमेरिका के क्षेत्रीय सहयोगी होने के बावजूद इंडोनेशिया और वियतनाम भी रूस से हथियार खरीदते हैं। हाल ही में जकार्ता ने रूस से सुखोई लड़ाकू विमानों की बड़ी डील की है। वहीं वियतनाम भी रूस से जेट युद्धक विमान खरीदने की तैयारी कर रहा है। भारत के साथ होने वाली एस-400 डील से जुड़े रूसी सूत्र ने बताया, बहुत कुछ हमारे भारतीय भागीदारों के आत्मविश्वास और स्वच्छता पर निर्भर करेगा।

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