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कश्मीर में पत्थरबाजों पर आम माफी का दुष्परिणाम, आत्मरक्षा के लिए गोली चलाने वाले जवानों के खिलाफ एफआईआर


डॉ. चंदर सोनाने

जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री सुश्री महबूबा मुफ्ती में पिछले दिनों एक खतरनाक और आत्मघाती निर्णय लिया । उन्होंने कश्मीर में पहली बार पत्थरबाजी करने वाले युवकों पर दर्ज प्रकरण वापस लेने की घोषणा करते हुए उन्हें आम माफी दी। इसी का दुष्परिणाम यह सामने आया है कि हाल ही में जम्मू कश्मीर के सोफियां में पत्थरबाजी करने वाले युवकां पर आत्मरक्षा के लिए सेना द्वारा फायरिंग करने पर तीन लोगों की मौत हो गई । फायरिंग करने वाले सेना के जवानों पर पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज कर दी गई है। यह एक गंभीर मसला है। इस पर तुरंत राष्ट्रव्यापी बहस होनी चाहिए । और फायरिंग करने वाले जवानों पर दर्ज एफआईआर तुरंत वापस ली जानी चाहिए।
                  मजेदार बात यह है कि जम्मू कश्मीर में पीडीपी की मुख्यमंत्री सुश्री महबूबा मुफ्ती को भाजपा ने अपना समर्थन दे रखा है। वर्तमान में जम्मू कश्मीर में पीडीपी और भाजपा की संयुक्त सरकार है। राष्ट्रवादी पार्टी होने को गौरव बताने वाली भाजपा के लिए यह बात शर्मनाक है कि सैकड़ों की तादाद में पत्थरबाजी कर रहे युवकों पर फायरिंग करने वाले जवानों पर उन्हीं के शासन में एफआईआर दर्ज हो रही है। भाजपा ने जवानों के खिलाफ एफआईआर वापस लेने की मांग की है किंतु मुख्यमंत्री सुश्री महबूबा मुफ्ती ने इससे स्पष्ट इंकार कर  दिया है।
                   उल्लेखनीय है कि जम्मू कश्मीर के सोपियां में सेना के जवान गश्त पर जा रहे थे। इसी बीच तीन चार सौ लोगों की भीड़ ने सेना के जवानों के वाहन पर खतरनाक ढंग से पत्थरबाजी शुरू कर दी। इससे सेना के जवान जहाँ घायल हुए, वहीं उनके वाहनों को भी बहुत क्षति हुई । इस कारण सेना के जवानों ने तुरंत फायरिंग कर स्थिति को नियंत्रित किया। फायरिंग के दौरान तीन लोगों की मौत हो गई। इस घटना के बाद जम्मू कश्मीर में सत्ताधारी गठबंधन पीडीपी और भाजपा के बीच तनातनी हो गई है।
                    सेना के उत्तरी कमान के लेफ्टिनेंट जनरल श्री देवराज अन्बु ने इस मामले में सेना के जवानों का समर्थन करते हुए कहा कि हमारा रूख इस बारे में बिल्कुल साफ है कि अगर उकसाने वाली कारवाई होती है तो आत्मरक्षा के लिए हम जवाब देंगे। उनका स्पष्ट कहना है कि इस केस में एफआईआर की कोई जरूरत नहीं थी। सोफियां में फायरिंग सिर्फ सेल्फ डिफेंस के लिए की गई। इस तरह उत्तरी सेना के कमांडर के बयान के बाद यह स्पष्ट को गया है कि सेना पूरी तरह से जवानों के साथ खड़ी है।
                   एक बार फिर जम्मू कश्मीर की राजनीति में उफान आ गया है। सेना ने भी पत्थरबाजों के खिलाफ काउंटर एफआईआर दर्ज करवाई है। पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में 10 गढ़वाल रायफल के सैनिक आरोपी बनाए गए हैं। पुलिस ने रविवार को सेना के मेजर की अगुवाई वाले जवानों के खिलाफ हत्या व हत्या की कोशिश का केस दर्ज किया है। अपनी स्थानीय राजनीति के कारण पीडीपी की मुख्यमंत्री सुश्री महबूबा मुफ्ती पुलिस की कारवाई का पक्ष ले रही है। इस बीच सोशल मीडिया पर भी एफआईआर के दायरे में आए मेजर को बचाने के लिए मुहिम शुरू कर दी गई है।
                   जम्मू कश्मीर में पीडीपी और भाजपा का बेमेल बंधन हुआ है। अब समय आ गया है। भाजपा को स्पष्ट रूप से अपना मत पीडीपी के सामने दर्ज करा देना चाहिए । स्थानीय राजनीति के कारण पीडीपी सीएम जहाँ पत्थरबाजों का पक्ष ले रही है, वहीं भाजपा सेना के जवानों का पक्ष लेने सामने आई है। असल में पत्थरबाजों के विरूद्ध दर्ज सैकड़ों प्रकरण वापस लेने के आदेश के ही दुष्परिणाम अब सामने आ रहे हैं । पत्थरबाज खुलकर आतंकवादियों का समर्थन कर रहे है। उन्हें किसी भी तरह से माफी नहीं दी जानी चाहिए। वे देशद्रोहियों का साथ दे रहे हैं। इसके लिए उनके साथ भी देशद्रोहियों जैसा ही बरताव किया जाना चाहिए। यही समय की मांग है। अन्यथा कश्मीर की हालत फिर से बद से बदत्तर होती जाएगी, जिसे संभालना मुश्किल हो जाएगा। यह किसी भी तरह देश हित में नहीं होगा।
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