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नाम अलग लेकिन हर धर्म का हिस्सा रही है 'पवित्र वेश्यावृत्ति'



वेश्यावृत्ति दुनिया में विकसित समाज के जन्म लेने से पहले से अस्तित्व में रही है. वेश्यावृत्ति लगभग हर समाज और हर देश में मौजूद रही है. कुछ विद्वानों ने धर्म या धार्मिक अनुष्ठानों के तहत की जाने वाली वेश्यावत्ति को पवित्र वेश्यावृत्ति का नाम दिया है. पवित्र शारीरिक संबंध या पवित्र वेश्यावृत्ति के बारे में कुछ ऐसे तथ्य हैं जिसे आपको भी जरूर जानना चाहिए-
प्राय: धर्मों में प्रजनन क्षमता का सम्मान करने या दिव्य विवाह के तौर पर इसका अभ्यास किया जाता था. वेश्यावृति को दुनिया की कई बड़ी संस्कृतियों में आस्था और सम्मान की नजरों से देखा जाता था.
वेश्यावृत्ति के कई वर्गीकरण मिलते हैं जिन्हें मुख्यत: दो भागों में बांटा गया है. एक स्थायी यानी जिंदगी भर चलने वाली पवित्र वेश्यावृत्ति और दूसरी अस्थायी वेश्यावृत्ति (जब तक विवाह ना हो जाए). आगे की स्लाइड्स में जानिए दुनिया में किस रूप में मौजूद थी पवित्र वेश्यावृत्ति...
कई विद्वानों का मानना है कि पवित्र वेश्यावृत्ति की संस्कृति सबसे पहले सुमेरियन के एक राजा और इनन्ना की पुजारी से शुरू हुई. इनन्ना को प्रेम, संभोग और उत्पादकता की सुमेरियन देवी कहा जाता है.
सुमेरियन सभ्यता और उसके बाद बेबीलोन सभ्यता में धार्मिक क्रियाकलापों में पवित्र विवाह के रूप में यौन संबंधों को पवित्र माना जाता था. प्रजनन की देवी इनन्ना/ इस्तार और देवता डुमुजी के बीच विवाह कराया जाता था. इनन्ना की पुजारी को इस प्रक्रिया में सबसे बड़े पुजारी या फिर शहर के राजा के साथ 'पवित्र संबंध' बनाने होते थे. इसके जरिए दिव्य प्रजनन ऊर्जा सृष्टि में आती थी और इसे धरती पर फसलों और जीवों के लिए शुभ माना जाता था.
पवित्र वेश्यावृत्ति में मंदिर की पुजारिन को दैवीय ऊर्जा निष्कासित करने के उद्देश्य हेतु मंदिर आने वाले भक्तों के साथ भी पवित्र शारीरिक संबंध बनाना होता था. मेसोपोटामिया में ये दोनों तरह की पवित्र वेश्यावृत्ति करीब हजारों साल तक प्रचलन में रहीं.एक ग्रीक इतिहासकार हेरोडोटस के मुताबिक, बेबीलोन की हर एक महिला को इश्तार/ इनन्ना के मंदिर में जाना होता था और अगर कोई भी पुरुष उनसे शारीरिक संबंध बनाने के लिए निवेदन करता तो उन्हें स्वीकार करना पड़ता था. इस धार्मिक अनुष्ठान के बाद भक्त महिला को मंदिर में दान करने के लिए पैसे देता था. हालांकि कई विद्वानों में इस बात को लेकर मतभेद हैं कि यह इसी रूप में अस्तित्व में था या नहीं.
ग्रीस-पवित्र वेश्यावृत्ति ग्रीस में भी अस्तित्व में थी. एफ्रोडाइट के मंदिर में कोरिंथ में बड़ी संख्या में महिला सेविकाएं होती थीं. उन्हें पवित्र दरबार में पवित्र वेश्यावृत्ति के लिए रखा जाता था.
यूनानी दुनिया में पवित्र सेक्स-ग्रीक सभ्यता से प्रभावित देशों साइप्रस, सिसिली, पोंटस साम्राज्य और कप्पोडोसिया में भी पवित्र वेश्यावृत्ति की अवधारणा ने जन्म लिया. यहां के मंदिरों में वेश्याओं की अच्छी खासी संख्या होती थी. पवित्र दरबार में वेश्याओं के साथ पवित्र शारीरिक संबंध बनाए जाने की प्रथा थी.
प्राचीन भारत में पवित्र वेश्यावृत्ति-प्राचीन भारत के कुछ हिस्सों में पवित्र वेश्यावृत्ति की शुरूआत बड़े ही अनोखे ढंग से हुई. शहर की सभी स्त्रियां नगरवधु यानी नगर की दुल्हन के खिताब के लिए प्रतियोगिता में हिस्सा लेती थीं. सबसे खूबसूरत महिला को राजा के द्वारा चुना जाता था और उसे एक देवी की तरह सम्मान दिया जाता था.
उसके बाद नगरवधु एक दरबारी के तौर पर अपनी सेवाएं देती थी. उसके एक रात के नृत्य की कीमत बहुत ही ऊंची होती थी. नगरवधुओं का नृत्य का आनंद केवल राजाओं, राजकुमारियों और देवताओं की पहुंच तक ही सीमित होता था. नगरवधुओं को सभी सुख-सुविधाएं प्रदान की जाती थीं.
ऋग्वेद में अविवाहित महिलाओं की बिक्री का भी उल्लेख मिलता है. ऋग्वेद में वेश्याओं के लिए सदबरनी शब्द प्रयुक्त किया गया है. वैदिक काल में अधिकतर वेश्याएं लाल रंग के वस्त्र धारण करती थीं. यहां तक कि उनके आभूषण भी लाल रंग के होते थे.
मैथुन एक संस्कृत शब्द है जिसका मतलब होता है- सेक्सुअल यूनियन. यह तंत्र का मुख्य हिस्सा है जिसे पंचमकर, महाभूत और तत्व चक्र कहा जाता है. मैथुन पुरुष और स्त्री के बीच दैवीय एकता का प्रतीक है. इस प्रक्रिया में महिला शक्ति और पुरुष शिव बनने की ओर अग्रसर हो जाते हैं. हालांकि यह तब तक पाप है जब तक कि इससे आध्यात्मिक अभ्युदय की प्राप्ति नहीं होती हो.
दक्षिण भारत में देवदासी प्रथा और उत्तर भारत में मुखीस होती थीं. इन नृतकियों को प्रार्थना के समय मौजूद रहना आवश्यक होता था. इन्हें काफी सम्मानित दर्जा मिला हुआ था.
पश्चिमी सभ्यताओं में पवित्र वेश्यावृत्ति-1980 के दशक की शुरूआत में कुछ धार्मिक संगठनों ने पवित्र वेश्यावृत्ति के नाम पर वेश्याओं की नियुक्ति करनी शुरू कर दी थी. उन्होंने इसे 'फ्लर्टी फिशिंग' का नाम दिया था. बाद में एड्स फैलने की वजह से यह प्रैक्टिस बंद हो गई.
नेपाल में पवित्र वेश्यावृत्ति-देउकी एक ऐसी प्रथा है जो नेपाल के अधिकतर हिस्सों में प्रचलित है. इस परंपरा में युवा लड़कियों को स्थानीय मंदिरों में लाया जाता है और उन्हें वेश्याओं की तरह सेवाएं देनी पड़ती है. यह प्रथा भारत में प्रचलित देवदासी प्रथा से थोड़ी बहुत मिलती जुलती है. हालांकि अब इस प्रथा का अस्तित्व धीरे-धीरे खत्म हो रहा है.

 

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