top header advertisement
Home - उज्जैन << परीक्षा के पैटर्न के हिसाब से नहीं हुई पढ़ाई

परीक्षा के पैटर्न के हिसाब से नहीं हुई पढ़ाई


माध्यमिक शिक्षा मंडल ने मंगलवार को 5वीं और 8वीं का परीक्षा परिणाम घोषित किया। इस बार कक्षा 5वीं का परिणाम 79 प्रतिशत और कक्षा 8वीं का परिणाम 78 प्रतिशत रहा। इस बार प्रदेश के 55 जिलों में उज्जैन जिला 47वें नंबर पर रहा। पिछली बार उज्जैन जिला 51वें नंबर पर था। 5वीं और 8वीं कक्षा को बोर्ड हुए दो साल हो गए हैं और हम दोनों ही बार शिक्षा के स्तर में बहुत पीछे रहे। उज्जैन टॉप 20 जिले में भी अपना नाम दर्ज नहीं करवा पाया।

इस हिसाब से हम जिले में बच्चों के शिक्षा के स्तर को देखें, तो जब हमारे विद्यार्थियों की नींव ही मजबूत नहीं है और वे अपने ही प्रदेश में इतना पीछे हैं तो वे ऑल इंडिया लेवल पर होने वाली परीक्षाओं में अपनी काबिलियत कैसे साबित कर पाएंगे। पिछले साल पांचवीं, आठवीं के मूल्यांकन के लिए यह प्रयोग किया था कि जिला मुख्यालय के विकासखंड की कॉपियां चैक होने के लिए दूसरे जिले में भेजी गई। उज्जैन शहर विकासखंड की कॉपियां मंदसौर जिले में भेजी थी।

बिगड़े परिणाम का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले सालों में उज्जैन शहर विकासखंड में 5वीं में 78 और 8वीं में 52 स्कूलों में एक भी विद्यार्थी पास नहीं हो सका। इसमें शासकीय के अलावा निजी स्कूल भी शामिल हैं। पिछले साल उज्जैन जिला 52 जिलों में 51वें नंबर पर था। इस बार 55 जिलों में 47वें नंबर पर जिला आया है। तुलना की जाए तो इस वर्ष जिले में 5वीं का रिजल्ट 26.2 और 8वीं का 27.1 प्रतिशत ज्यादा रहा।

कक्षा 5वीं में 30 हजार 470 और 8वीं में 28 हजार 701 विद्यार्थी हुए थे शामिल वर्ष सत्र 2022-23 में कक्षा 5वीं का परिणाम 53.5 प्रतिशत और 8वीं का 51.7 रहा था। हालांकि पिछले बार की तुलना में इस बार परिणाम 30 प्रतिशत का सुधार हुआ है। लेकिन एक साल में भी जिला केवल चार पायदान नीचे आया है। इस बार कक्षा 5वीं में जिले से 30 हजार 470 विद्यार्थी शामिल हुए थे, इनमें से 24 हजार 284 विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए हैं। 8वीं में जिले से 28 हजार 701 विद्यार्थी परीक्षा में शामिल हुए थे, इनमें 22 हजार 617 उत्तीर्ण हुए।

एक्सपर्ट व्यू : शिक्षकों को भी पैटर्न नहीं समझ आया, गणित विषय सबसे कमजोर रहा इस बार रिजल्ट 50-50 रहा है। जिन विद्यालयों की कॉपी बाहर चैकिंग के लिए गई है, वहां के रिजल्ट सबसे ज्यादा बिगड़े हैं। शिक्षक अच्छी तरह से कॉपियों की जांच नहीं कर पाए। साथ ही बच्चों की पढ़ाई पेपर के पैटर्न के अनुसार नहीं हुई। कई शिक्षक तो परीक्षा पैटर्न को समझ ही नहीं पाए। इस बार सबसे ज्यादा कमजोर गणित विषय रहा है। बच्चों को सबसे ज्यादा सप्लीमेंट्री इसी विषय में आई है। कई जगह हिंदी माध्यम विद्यार्थियों को अंग्रेजी माध्यम के पेपर देने जैसी लापरवाही भी देखने मिली है।

-विक्रमसिंह राठौड़, शिक्षाविद्

Leave a reply