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देश का पहला कॉलेज जहां मन और बुद्धि के विषय की शिक्षा दी जा रही है


मंगलनाथ मार्ग स्थित शासकीय धन्वंतरि आयुर्वेद महाविद्यालय अब शरीर के साथ ही मन और बुद्धि के बारे में बच्चाें काे पढ़ाने वाल देश का पहला काॅलेज बन गया है। त्रि शारीर (शरीर विज्ञान, एनाटॉमी) सिद्धांत पर आधारित स्थूल, सूक्ष्म और कारण शारीर के संग्रहालय का निर्माण करने वाला आयुर्वेद महाविद्यालय बन चुका है। स्थूल शरीर संग्रहालय ताे महाविद्यालय में पहले से ही है, जहां विद्यार्थी मृत शारीर के बारे में पढ़ते हैं।

इसके साथ आयुर्वेद के अनुसार जीवित शरीर के अध्ययन के लिए सूक्ष्म और कारण शारीर संग्रहालय महाविद्यालय में बनाया है। यहां वर्तमान में विद्यार्थी शरीर संरचना के साथ मन, आत्मा, इंद्रीय एवं बुद्धि के बारे में पढ़ रहे हैं। यहां विद्यार्थी चार्ट, मॉडल और योग के जरिए मन और आत्मा पर अध्ययन कर रहे हैं। इससे इलाज सुविधाजनक व गहराई से हो सकेगा।

संग्रहालय के लिए विद्यार्थियों और शिक्षकों ने तैयार किए मॉडल व चार्ट

प्राचार्य डॉ. जेपी चौरसिया ने बताया कि रचना शारीर विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. योगेश वाने, लेक्चरर डॉ. प्रकाश जोशी, डॉ. सुधीरसिंह चौहान के निर्देशन में स्नातकोत्तर अध्येताओं की पहल के बाद सूक्ष्म एवं कारण शारीर का संग्रहालय विकसित करने वाला देश का पहला कॉलेज धन्वंतरि आयुर्वेद महाविद्यालय बना है। विभागाध्यक्ष वाने ने बताया कि मॉडर्न साइंस में केवल शव और शरीर के बारे में बताया जाता है, लेकिन आयुर्वेद में शरीर, शव के साथ बिना संरचना वाले मन और बुद्धि के बारे में बता रहे हैं।

योग क्रियाओं के सूक्ष्म घटकों के चिकित्सकीय महत्व को भी जान रहे

संग्रहालय के माध्यम से शरीर अर्थात मानव शरीर के न दिखने वाले मन, बुद्धि, इंद्रीय आदि जैसे विषयों को भी विद्यार्थियों को पढ़ाया जा रहा है। संग्रहालयों में छात्र-छात्राएं स्वयं के शरीर में योग क्रियाओं द्वारा प्रयोग करके शरीर में रोगों को दूर करने एवं स्वास्थ्य की रक्षा के लिए स्थूल शरीर (शव) के साथ-साथ मन, बुद्धि, इंद्रीय, आत्मा आदि सूक्ष्म घटकों के चिकित्सकीय महत्व को भी जान रहे हैं। सप्ताह में तीन दिन लगभग एक घंटे विद्यार्थियों को पढ़ाया जा रहा है।

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