top header advertisement
Home - काव्य रचना

काव्य रचना

मैं अछूत हूँ, मंदिर में आने का मुझको अधिकार नहीं है।

अज्ञात मैं अछूत हूँ, मंदिर में आने का मुझको अधिकार नहीं है। किंतु देवता यह न समझना, तुम पर मेरा प्यार नहीं है॥ प्यार असीम, अमिट है, फिर भी पास...

मुक्ति की आकांक्षा

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना चिडि़या को लाख समझाओ कि पिंजड़े के बाहर धरती बहुत बड़ी है, निर्मम है, वहाँ हवा में उन्हेंर अपने जिस्मब की गंध...

एक आशीर्वाद

 दुष्यंत कुमार जा तेरे स्वप्न बड़े हों। भावना की गोद से उतर कर जल्द पृथ्वी पर चलना सीखें। चाँद तारों सी अप्राप्य ऊचाँइयों के लिये रूठना मचलना...

मिट गया जब मिटने वाला

 मिट गया जब मिटने वाला फिर सलाम आया तो क्या ! दिल की बर्वादी के बाद उनका पयाम आया तो क्या ! मिट गईं जब सब उम्मीदें मिट गए जब सब ख़याल...