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नृत्य प्रदर्शन में शैली नहीं संप्रेषण अधिक महत्वपूर्ण है


नृत्य प्रदर्शन में शैली नहीं संप्रेषण अधिक महत्वपूर्ण है "कलाकार द्वारा किस शैली में नृत्य किया जा रहा है इससे अधिक अहमियत इस बात की होती है कि दर्शकों तक नृत्य के भावों का अच्छी तरह संप्रेषणन हो। यह बात स्पीक मेंके एवं संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित विश्व नृत्य दिवस श्रृंखला के तहत नई दिल्ली से आई नवोदित नृत्यांगना संगीता दस्तीकार ने प्रात 11:00 बजे शासकीय हाई स्कूल ग्राम दताना में छात्रों से मुखातिब होते हुए कहीं।
 स्पीक मेंके राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पंकज अग्रवाल बताया कि सुश्री संगीता ने अपने प्रदर्शन की शुरुआत राग माल कोश, तीन ताल, 16 मात्रा में निबंध एवं पद्म विभूषण पंडित बिरजू महाराज द्वारा स्वरबद्ध कृष्ण वंदना" वर्णित छवि श्री श्याम सुंदर "के द्वारा कृष्ण के सुंदर स्वरूप का वर्णन किया गया। तत्पश्चात नृत्यांगना ने लोक एवं शास्त्रीय नृत्यों के मध्य का अंतर भी समझाया ।और इस बात पर जोर दिया कि शास्त्रीय नृत्य की परंपरा शास्त्रों पर आधारित हैं । अंत में उन्होंने नृत्य के दो पहलू अभिनय और नृत्य को समझाते कृष्ण भजन के माध्यम से अपनी प्रस्तुति का  सुंदर समाहार किया। यहां अतिथियों का स्वागत प्राचार्य अनीता गंधरा  ने किया ।
                      सुश्री संगीता की द्वितीय प्रस्तुति अपराह्न 12:30 शासकीय बालिका  गृह ,ग्राम लालपुर देवास रोड पर हुई ।यहां नृत्यांगना ने श्री कृष्ण के मथुरा आगमन की कथा के माध्यम से बहुत ही रोचक तरीके से नवरसों की जानकारी दी। तत्पश्चात कथक नृत्य की पारंपरिक नृत्य मुद्राएं पताका , हस्तक ,पद संचालन चक्कर एवं भूमि प्रणाम आदि सिखाए। कार्यक्रम के अंत में आभार छात्रावास अधीक्षिका मीना मूंगे ने माना।
                    दिनाक 30 अप्रैल मंगलवार को सुश्री संगीता की प्रथम प्रस्तुति प्रातः 10:00 बजे शासकीय उमा वि ग्राम लसूडियासोडा एवं द्वितीय प्रस्तुति अपराह्न 12:15 बजे शासकीय उमावि मक्सी रोड ग्राम ताजपुर पर होगी।

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