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विश्व में टॉप 1000 शैक्षणिक संस्थाओं में सिर्फ 31 भारतीय


संदीप कुलश्रेष्ठ
                     टाईम्स हायर एजुकेशन वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैकिंग 2018 में विश्व में टॉप 1000 शैक्षणिक संस्थानों में से सिर्फ 31 भारतीय संस्थानों को ही स्थान प्राप्त हो सका है। इसमें उल्लेखनीय यह भी है कि टॉप 250 शैक्षणिक संस्थानों में एक भी भारतीय नहीं है। पिछले साल की रैकिंग में भारत का एकमात्र भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलूरू 201 से 250 की रैंक में शामिल संस्थान भी लुढ़ककर 251 से 300 के बीच के स्थान में जा पहुंचा है।
भारतीय संस्थानों का स्तर गिरा -
                   विश्व स्तर पर भारतीय शिक्षा संस्थानों के प्रदर्शन के मामले में निराशाजनक परिणाम सामने आए है । हालात यह है कि दुनिया के टॉप 250 संस्थानों में भारत का एक भी नहीं है। हालांकि शीर्ष एक हजार शिक्षण संस्थानों में देश के 31 शिक्षण संस्थान शामिल हो पाए हैं। इन संस्थानों में भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलूरू, आईआईटी बॉम्बे, दिल्ली, कानपुर, खड़गपुर ने भी जगह बनाई है। रैकिंग में ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी लगातार दूसरे साल पहले नंबर पर है। दूसरे नंबर पर कैंब्रिज है, जो पिछले साल चौथे नंबर पर थी। टॉप 200 संस्थानों में सबसे ज्यादा 62 अमेरिका के है। इसके बाद ब्रिटेन के 31 और जर्मनी के 20 संस्थान शामिल है। दुनिया के बेहतर शिक्षा संस्थानों की सूची में पहले और दूसरे पायदान पर ब्रिटेन का कब्जा हैं ।
शीर्ष पांच संस्थानों की रैकिंग 251 से 600 के बीच -
                टाईम्स हायर एजुकेशन वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैकिंग 2018 में शीर्ष एक हजार संस्थानों में भारत के पांच संस्थानो ने ही स्थान प्राप्त किया है। इनमें से आईआईएससी 251 से 300 के बीच, आईआईटी बॉम्बे 351 से 400 के बीच तथा आईआईटी दिल्ली , आईआईटी कानपुर और आईआईटी खड़गपुर की रैंक  501 से 600 के बीच है।   आईएसएम धनबाग और बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी पहली बार टॉप एक हजार उच्च शिक्षण संस्थानों में शामिल हुई है।
20 यूनिवर्सिटी को सरकार वर्ल्ड क्लास बनाएगी -           
                      केंद्र सरकार अब जागी है। सरकार देश में हायर एजुकेशन के बुनियादी ढ़ांचे में सुधार लाना चाहती है । इसके लिए केंद्र सरकार 20 विश्वविद्यालयों को अपडेट कर वर्ल्ड क्लास बनाने की योजना बना रही है। इन संस्थानों को आगामी पांच सालों में एक-एक हजार करोड़ रूपये दिये जाएंगे। संबंधित विश्वविद्यालय प्राप्त राशि से अपने विश्वविद्यालय के बुनियादी ढ़ांचे में सुधार कर उसे वर्ल्ड क्लास बनाने का प्रयास करेगा।
                      केंद्र सरकार को अपने देश के विश्वविद्यालयों को विश्वस्तरीय बनाना है, तो उन्हें उन संस्थानों में सबसे जरूरी शिक्षकों के रिक्त पदों को भरना होगा। अभी हालात यह है कि आईआईटी जैसे शीर्ष संस्थानों में ही 30 से 50 प्रतिषत शैक्षणिक पद रिक्त हैं। अन्य विश्वविद्यालयों की हालत तो बहुत ही खराब है। इस स्थिति को बदलना पडेगा। समस्त शैक्षणिक पदों को भरने के साथ ही साथ उन संस्थानों में मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करना भी जरूरी होगा तभी शैक्षणिक संस्थाएं विश्व स्तरीय बन सकेगी।

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