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खरमास समाप्त: अप्रैल में विवाह के चार मुहूर्त


ग्रह गोचर की गणना के अनुसार 14 अप्रैल की प्रात: सूर्य का मीन राशि को छोड़कर मेष राशि में प्रवेश हो गया है। खरमास समाप्त होते ही अब मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाएगी। इस दौरान विवाह, यज्ञोपवीत, वास्तु आदि मांगलिक कार्य किए जा सकते है। इस बार मुहूर्त की संख्या कम होने से अप्रैल माह में ही शुभ कार्य संपादित करना होगा। आगे गुरु व शुक्र के तारा अस्त होने से मुहूर्त नही रहेंगे। अप्रैल महीने में चार विवाह मुहूर्त है।

पं. अमर डिब्बेवाला ने बताया कि 14 अप्रैल को सूर्य का मेष राशि में प्रवेश हो गया है। खरमास समाप्त होने के बाद अप्रैल माह में विवाह के सिर्फ चार मुहूर्त है, जिसमें 18, 23, 26 और 28 अप्रैल के मुहूर्त में ही विवाह संपादित करना होगा। हालांकि 28 तारीख की मध्य रात्रि के बाद शुक्र का तारा अस्त होगा। मान्यता के अनुसार शुक्र के अस्त के तीन दिन पहले या दो दिन पहले परंपरा तथा गणना से विवाह नही करते है। यह स्थिति चित्रा केतकीय व ग्रह लाघवीय पद्धति के अंतर से आती है, किंतु इन तारीखों में विवाह किया जा सकता है।

29 अप्रैल को शुक्र तो 8 मई को गुरु तारा अस्त होगा-

29 अप्रैल की प्रात: 5:30 बजे शुक्र का तारा अस्त होगा। वहीं 8 मई को गुरु का तारा अस्त होने वाला है। मान्यता के अनुसार विवाह, यज्ञोपवीत, गृह, वास्तु आदि के लिए तारों की गणना की जाती है। जब तारे अस्त हो तो ये मांगलिक कार्य नहीं किए जाते है।

जुलाई में तीन मुहूर्त फिर चातुर्मास आरंभ होगा-

मई और जून 2 माह तारों के अस्त होने के कारण विवाह आदि मांगलिक कार्य नही हो सकेंगे। वहीं इन कार्यो के लिए जुलाई में तीन विशेष मुहूर्त 9, 11, 15 जुलाई की तारीख विवाह के लिए उपयुक्त रहेंगे। उसके बाद देवशयनी एकादशी से देव उठनी एकादशी तक चातुर्मास का अनुक्रम रहेगा। इस दौरान भी विवाह आदि कार्य नही होंगे। देवउठनी के बाद 16 नवंबर से पुन: विवाह कार्य की शुरुआत होगी।

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