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निजी के बावजूद सरकारी क्वार्टर का भी उपयोग कर रहे तो शपथ पत्र दें, हड़कंप


विक्रम विश्वविद्यालय के सरकारी आवासों में रहने वाले 183 अधिकारी, कर्मचारी व शिक्षकों को अब शपथ पत्र देना होगा कि उनके पास सरकारी क्वार्टर के अलावा निजी मकान है अथवा नहीं। अगर निजी मकान के बावजूद वे सरकारी क्वार्टर का उपयोग कर रहे हैं तो इसके लिए शासन की गाइडलाइन नियम 45-बी के अनुसार किराया देना होगा। कुलपति प्रो. अखिलेशकुमार पांडेय द्वारा जारी की गई अधिसूचना के बाद विवि में हड़कंप है व सरकारी आवासों में रहने वाले सकते में है।

कुलपति ने जो अधिसूचना जारी की है, उसमें स्पष्ट लिखा है कि शासन के शासकीय आवास आवंटन के नियमानुसार जिन शासकीय अधिकारी, शिक्षक व कर्मचारियों के पदस्थापना वाली जगह पर स्वंय या परिवार के सदस्य के नाम से निजी मकान है तो उनसे किराया मूल नियम 45-बी के अधीन लिया जाएगा। अर्थात सीधे-सीधे वर्तमान किराए की राशि दोगुनी से ज्यादा देना होगी। अत: विश्वविद्यालय परिसर में निवासरत समस्त अधिकारी, शिक्षक, कर्मचारी समेत अतिथि विद्वान, स्थायी व दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी अपना शपथ पत्र प्रस्तुत करे, ताकि ये पता चल सके कि उनके व परिवार के सदस्य के नाम से नगर निगम परिक्षेत्र में निजी मकान है अथवा नहीं। कुलपति प्रो. पांडेय ने बताया कि अधिसूचना जारी की है। रजिस्ट्रार को शपथ पत्र आ रहे होंगे।

निजी मकान हुआ तो जब से सरकारी में रह रहे पूरा किराया वसूलेंगे निजी मकान की प्रमाणिकता शपथ पत्र से सिद्ध होती है तो ऐसे अधिकारी, कर्मचारी व शिक्षकों से विश्वविद्यालय प्रबंधन जब से सरकारी क्वार्टर में निवासरत हैं, उस समय से वर्तमान तक का किराया नियम 45-बी के अनुसार वसूला जाएगा। विश्वविद्यालय प्रबंधन ने सभी को अधिसूचना के माध्यम से स्पष्ट कर दिया है कि वे जल्द से जल्द शपथ पत्र प्रस्तुत करें। विश्वविद्यालय के भवनों का संधारण देखने वाले इंजीनियर अतुल जैन ने बताया कि कुलपति निवास अब कम हो गया है, ऐसे में कुल 183 सरकारी आवास है।

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