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सोयाबीन की तैयारी, कम भाव फिर भी भरोसा


उज्जैन | खेत पूरी तरह से खाली हो चुके हैं। किसान सोयाबीन की अगली उपज की तैयारी में लग चुके हैं। दो साल से उपज प्रति बीघा दो िक्वंटल तक ही मिल रही है। भाव भी सस्ते होने से किसान के हाथ में कुछ नहीं आ रहा है। अन्य उपज पर भी किसानों की आपसी रायशुमारी चल रही है लेकिन मक्का जैसी उपज पर तैयार नहीं हो रहे हैं। बताया जाता है कि गांव-गांव में एक तरफ मक्का उपज ली जाए तो पक्षियों द्वारा उपज उजाड़ने का खतरा कम हो सकता है। सोयाबीन पर दवाओं का डोज भी देना पड़ता है।

अभी तक की उपज का जमा तो दवाओं का, मजदूरी का व डीजल का खर्च ही निकल पा रहा है। किसान के हाथ में कुछ भी नहीं आ रहा है। इधर अंतरराष्ट्रीय बाजार से सोयाबीन की कमजोर भाव वाली रिपोर्ट वायरल होने के बाद सस्ते का दौर सोयाबीन में बना रहेगा। किसानों का होल्ड किया सोयाबीन अगले माह से मंडी में भारी मात्रा में बिकने आने लगेगा। अभी तक 2 करोड रुपए रोज का सोयाबीन किसान 4500 से 4700 के भाव पर बेच रहे हैं। इस बार 9560 और 1135 नामक सोयाबीन का बीज चलन में रहने वाला है। दो साल बाद सोयाबीन उपज की तस्वीर बदलेगी, ऐसा बताया जाता है।

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