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शांतिनाथ जैन मंदिर में आध्यात्म योगी महेंद्र सागर की मा.सा का हुआ आध्यात्मिक प्रवचन


शांतिनाथ जैन मंदिर में आध्यात्म योगी महेंद्र सागर की मा.सा का हुआ आध्यात्मिक प्रवचन          

उज्जैन-उपाध्याय पवार महेंद्र सागर जी मा.सा आदि ठाना अहमदाबाद से उग्र विहार कर नवपद ओली की आराधना कराने हेतु उज्जैन स्थित शांतिनाथ मंदिर में आगमन हुआ है आध्यात्मिक प्रवचन में गुरुवर ने बताया कि व्यक्ति के सुख और दुख का कारण वह स्वयं है किसी व्यक्ति या वस्तु से वह ना तो सुखी हो सकता है वह ना ही दुखी हो सकता है अपनी सोच के द्वारा ही व्यक्ति वस्तुपरस्थिति को अच्छा या बुरा मानकर सुखी दुखी होता रहता है आगे कर्म सिद्धांत को समझाते हुए गुरुवर ने बताया कि कि व्यक्ति के सामने परिस्थितिया उपस्थित होती है वहां अच्छी एवं बुरी दोनों हो सकती है उपस्थित परिस्थितिया उसके स्वयं के पूर्व में किए गए कर्मों के कारण ही आती है जैसा कार्य व्यक्ति ने पूर्व में किया है उसका ही फल वह वर्तमान में प्राप्त कर रहा है व्यक्ति अपने लिए चाहता है कि भविष्य में उसे हर स्थिति अच्छी मिले सभी सुख सुविधा मिले आसपास के लोग अच्छा व्यवहार करने वाले मिले परंतु उसका व्यवहार वर्तमान में इसके लिए बिल्कुल विपरीत रहता है स्वयं के लिए अच्छा चाहने वाले दूसरों से अच्छा व्यवहार नहीं करते हैं इसलिए भविष्य में दुखों को प्राप्त करता है इस प्रकार दुखी सुखी होकर वह नए-नए कर्मों को बांधता जाता है और संसार में घूमता रहता है इससे मुक्ति का उपाय बताते हुए गुरुदेव का कहना है कि हर उपस्थित परिस्थितियों में चाहे वह बहुत दुख की हो या सुख की हो सहज रहते हुए आनंद में रह सकता है वह जीवन को सुख शांति और खुश रहते हुए बीता सकता है अपने आने वाले भविष्य को भी सुनहरा बनाकर एक दिन मुक्ति को पा सकता है अध्यक्ष अशोक कुमार कोठारी ने बताया कि गुरुदेव के सानिध्य में आराधना करने हेतु छत्तीसगढ़ महाराष्ट्र से अनेक आराधक भी उज्जैन पधारे हैं उपाश्रय में गुरुदेव का नित्य प्रवचन  सुबह 8:45 से10.30 बजे तक स्वाध्याय प्रात:6.30बजे एवम दोपहर 3.30 बजे नित्य कर्म 23 अप्रैल तक जारी रहेगा।

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