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‘चिलचिलाती धूप पर भारी रहेगी आस्था और विश्वास की पंचक्रोशी यात्रा’


उज्जैन। पंचक्रोशी यात्रा प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी आज शुक्रवार 3 मई से प्रारम्भ होगी। चिलचिलाती धूप पर भारी रहेगी आस्था और विश्वास की पंचक्रोशी यात्रा। पंचक्रोशी यात्रा का समापन 7 मई को होगा। पंचक्रोशी यात्रा 118 किलो मीटर है। प्राचीन नगरी उज्जयिनी तीर्थ नगरी के रूप में मानी जाती है। प्रमुख द्वादश ज्योर्तिलिंगों में से एक उज्जैन के श्री महाकाल ही है। महाकालेश्वर स्वयंभू दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। शिवतीर्थ होने से चौरासी महादेव के रूप में शिवलिंग स्वरूप में स्थित है। महाकालेश्वर मन्दिर मध्य में स्थित है। तीर्थ के चारों दिशाओं में क्षेत्र की रक्षा के लिये महादेव ने चार द्वारपाल शिवरूप में स्थापित किये हैं, जो धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्रदाता हैं। जिनका उल्लेख स्कंदपुराण अन्तर्गत अवन्तिखण्ड में है। पंचेशानी यात्रा जिसे पंचक्रोशी यात्रा कहते हैं, इन्हीं चार द्वारपालों की कथा, पूजा विधान में इष्ट परिक्रमा का विशेष महत्व है।
पंचक्रोशी के मूल में इसी विधान की भावना है। स्कंदपुराण के अनुसार अनन्तकाल तक काशीवास की अपेक्षा वैशाख मास में मात्र पांच दिवस अवन्तिवास का पुण्यफल अधिक है। वैशाख कृष्ण दशमी पर शिप्रा स्नान व पटनी बाजार स्थित नागचंद्रेश्वर मन्दिर में पूजन के पश्चात पंचक्रोशी यात्रा प्रारम्भ होगी, जो 118 किलोमीटर की परिक्रमा करने के पश्चात कर्क तीर्थवास में समाप्त होती है और तत्काल अष्टतीर्थ यात्रा आरम्भ होकर वैशाख कृष्ण अमावस्या को शिप्रा स्नान के पश्चात यात्रा का समापन होता है। वैशाख कृष्ण दशमी शुक्रवार 3 मई से यात्रा प्रारम्भ होकर वैशाख कृष्ण अमावस्या 7 मई को यात्रा का समापन होगा। यात्रा के पड़ाव एवं उप पड़ाव स्थलों में क्रमश: पिंगलेश्वर, करोहन, नलवा, अंबोदिया, कालियादेह महल, जैथल, उंडासा रहेंगे।
जिला प्रशासन द्वारा पंचक्रोशी यात्रियों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए पड़ाव एवं उप पड़ाव स्थल पर व्यवस्थाएं की गई है। यात्रा के पूर्व संभागायुक्त, आईजी, कलेक्टर, एसपी आदि ने विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ यात्रा मार्ग पर पड़ने वाले पड़ाव एवं उप पड़ाव स्थलों पर की जाने वाली यात्रियों की व्यवस्थाओं का जायजा लिया था और सम्बन्धित अधिकारियों को सुव्यवस्थित व्यवस्थाएं करने के निर्देश दिये थे। पड़ाव एवं उप पड़ाव स्थलों पर पंचक्रोशी यात्रियों के लिये गर्मी को देखते हुए छाया हेतु टेन्ट, पेयजल, पर्याप्त विद्युत व्यवस्था, राशन की दुकानें आदि की व्यवस्था की गई है।

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