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भीषण गर्मी में 118 किमी की पैदल पंचकोशी यात्रा


उज्जैन में हर साल पंचकोशी यात्रा में पटनी बाजार स्थित नागनाथ की गली में भगवान नागचंद्रेश्वर को एक नारियल चड़ाकर भगवान से बल लेकर यात्री 118 किलोमीटर की यात्रा शुरू करते हैं। इस बार यात्रा 3 मई से शुरू होकर 7 मई को समापन होगा। हालांकि सैकड़ों यात्री दो दिन पहले ही गठरी सिर पर रख कर यात्रा पर निकल चुके हैं। शुक्रवार से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का जत्था भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन कर निकल पड़ा। कई श्रद्धालु पहले पड़ाव पिंगलेश्वर पर भी पहुंच गए हैं।

यात्रा में प्रदेश भर के लोग पहुंचे हैं। अपने साथ सूखा राशन और कपड़ों को गठरी बनाकर सिर पर रखकर पांच दिन के लिए घर से दूर निकले पड़ते हैं। भीषण गर्मी में आस्था का सैलाब पैदल सड़कों पर निकलता है। यात्री इस दौरान शहर के चारों कोनों में विराजित मंदिर 1. पिंगलेश्वर, 2 कायावरोहणेश्वर, 3. विल्वेश्वर, 4. दुर्धरेश्वर, 5. नीलकंठेश्वर के पूजन अर्चन कर मंगलवार को शिप्रा नदी में स्नान कर अपनी यात्रा खत्म करेंगे।

ये पड़ाव होंगे

तपती धूप में जहां कुछ देर खड़े रहना भी मुश्किल है। ऐसे में पंचकोशी यात्रा में प्रदेश भर से आए हजारों यात्रियों में बच्चे बुजुर्ग महिला पुरुष सभी 118 किमी की पैदल यात्रा करेंगे। इस दौरान वे यात्रा में मुख्य पड़ाव पर विश्राम करेंगे। पंचकोशी यात्रा में पिग्लेश्वर ,करोहन,नलवा,अम्बोदिया,केडी पैलेस,जेथल और उंडासा पड़ाव होंगे। कुल पांच पड़ाव और दो उप पड़ाव में श्रद्धालु आराम कर सकेंगे। पांच दिवस की पंचकोशी यात्रा का पुण्यफल अवंति में वास में करने का अधिक है।

दाल बाटी का आनंद लेकर 118 किमी की यात्रा

आस्था का ऐसा सैलाब के बीच यात्री तपती सड़कें और लंबे रास्ते में भजन करते करते कारवां कब अगला पड़ाव पहुंच जाते हैं, पता ही नहीं चलता। पंचकोशी यात्रा वैशाख माह की कृष्ण दशमी से प्रारम्भ होकर अमावस्या पर समापन होती है। प्रशासन द्वारा यात्रा मार्ग, पड़ाव, उप पड़ाव स्थलों का निरीक्षण कर सम्बन्धित विभागों के जिला अधिकारियों को पंचकोशी यात्रियों के लिए मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं।

इधर, भीषण गर्मी में 118 किमी की पैदल यात्रा बुधवार से ही शुरू हो गई, जबकि इसे विधिवत शुक्रवार से प्रारम्भ होना था। यात्रा में प्रदेश भर के श्रद्धालु शामिल हुए हैं। सिर पर खाने और पीने के समान की गठरी और भजन मंडली के साथ करीब 2 लाख से अधिक यात्री पहुंचने की उम्मीद है। अलग-अलग दिन पांच पड़ाव और दो उप पड़ाव पर रहकर प्रभु की आराधना करते हुए। मालवी दाल बाटी पड़ाव स्थल पर बनाकर आनंद लेते हुए यात्रा उज्जैन आकर समाप्त होगी। खास है कि यात्रा में 5 वर्षीय बच्चे लेकर 65 वर्षीय बुजुर्ग महिला पुरुष शामिल होते हैं। गर्मी के इस मौसम में 118 किमी तक पैदल चलते हैं।

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