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शहर में 1 मई से ई-रिक्शा संचालन की नई व्यवस्था लागू की जाना थी। यह कि जिन चालकों को जो जोन व रूट आवं​टित होंगे


शहर में 1 मई से ई-रिक्शा संचालन की नई व्यवस्था लागू की जाना थी। यह कि जिन चालकों को जो जोन व रूट आवं​टित होंगे, वे उसी पर अपना वाहन चलाएंगे, मनमर्जी से यहां-वहां नहीं। लेकिन 1 मई गई और यह नई व्यवस्था लागू नहीं हो पाई। क्योंकि अफसरों की प्लानिंग का ​विरोध हुआ। चालकों ने रूट आवंटित करवाने के लिए रुचि नहीं दिखाई।

नतीजा 5280 में से महज 34 ई-रिक्शा को ही रूट जारी हो पाए और 14 आवेदन पेंडिंग हैं। ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि यही हाल रहे तो शहर की यातायात व्यवस्था कैसे सुधर पाएगी? शहर में लगातार बढ़ रही ई-रिक्शा की संख्या और इनके मनमाफिक संचालक से बिगड़ती आंतरिक यातायात व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए 24 अप्रैल को जिला सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में एक निर्णय लिया था।

इसके तहत शहर को 6 जोन में बांटा जाकर इनके 20 प्रमुख रूट तय किए गए थे। स्पष्ट किया था कि ये रूट 5280 ई-रिक्शा चालकों को आवंटित किए जाएंगे। प्रत्येक तीन महीने में ये बदले भी जाएंगे, ताकि सभी चालकों को समान अवसर भी मिले। रूट के आवंटन के लिए आवेदन भी आमंत्रित किए जाने लगे, ताकि तय डेडलाइन 1 मई से चालक नई व्यवस्था के तहत आवंटित रूट पर ही अपने वाहन चला सके। चेतावनी दी गई थी कि मार्ग आवंटन के बगैर ई-रिक्शा संचालन करने पर वाहन चालक व स्वामी कार्रवाई के दायरे में आएंगे।

चालकों का विरोध: प्रतिनिधि को बैठक में क्यों नहीं बुलाया?

सड़क सुरक्षा समिति के इस निर्णय का भारतीय मजदूर संघ से जुड़े असंगठित ई-रिक्शा चालक-परिचालक आदि संघ ने विरोध जताया। प्रशासनिक संकुल भवन पहुंचकर आपत्ति दर्ज करवाई, मांगें रखी। मांग ये कि रूट की जो व्यवस्था तय की जा रही है, वह स्थगित की जाएं। अन्यथा मजबूरन संघ को आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा।

इसके अलावा इनकी आपत्ति ये भी थी कि उनके बारे में निर्णय करने के दौरान ई-रिक्शा संघ व एसोसिएशन के किसी भी प्रतिनिधि को समिति की बैठक में क्यों नहीं बुलाया गया? इस खींचतान के बाद ये हुआ कि चालकों ने रूट आवंटन करवाने में ज्यादा रुचि नहीं दिखाई और 1 मई से जो नई व्यवस्था लागू की जाना थी, वह नहीं हो पाई।

नई व्यवस्था समझ नहीं आ रही

रूट आवंटन की नई व्यवस्था को लेकर आपत्ति जताई है, क्योंकि ये व्यवस्था हमें समझ नहीं आ रही है। हमने गाड़ी के दस्तावेज बनवाने व संगठन के पंजीयन के लिए 45 दिन का वक्त मांगा है।

बल्लूसिंह ठाकुर, अध्यक्ष, असंगठित प्राइवेट ट्रांसपोर्ट संघ

13 मई के बाद लागू होगी व्यवस्था

अभी 34 वाहनों को रूट जारी हो पाए हैं। जैसे-जैसे आवेदन आ रहे हैं, रूट जारी कर रहे हैं। 1 मई से व्यवस्था पूरी तरह से लागू नहीं हो पाई है। चालकों ने समय मांगा था, उन्हें समय दिया है। अब 13 मई को चुनाव के बाद इसे ठोस तरीके से लागू करवाएंगे, कार्रवाई भी करेंगे।

-संतोष मालवीय, आरटीओ

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