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लोगों को भुगतना पड़ रहा खामियाजा


उज्जैन शहर में हो रहे निर्माण कार्य रुक-रुककर और रो-रोकर हो रहे हैं। किसी निर्माण में अनुमति का रोना तो किसी में बाउंड्रीवाल की बाधा। ऐसे में डेवलपमेंट के काम गति से नहीं हो पा रहे हैं। निर्माण कार्यों में जमीन अधिग्रहण व साइड क्लियर के भी पेंच फंसे हुए हैं। साइड पर इंजीनियर व प्रोजेक्ट इंचार्ज स्तर पर उचित निर्णय नहीं लिए जाने की वजह से भी निर्माण कार्य प्रभावित हो रहे हैं।

इन सबका खामियाजा शहर के डेवलपमेंट को भुगतना पड़ रहा है। पिछले 7-8 माह से पीडब्ल्यूडी व पीआईयू एवं यूडीए द्वारा किए जाने वाले करीब 6 से ज्यादा निर्माण कार्य किसी न किसी वजह से अटके हुए हैं या आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। सिंहस्थ-2028 के मद्देनजर होने वाले निर्माण कार्य भी रुक-रुक कर व धीमी गति से चल रहे हैं। शहर के वार्डों में होने वाले निर्माण कार्यों की भी यही स्थिति है।

देवास रोड पर सिंगल रोड को फोरलेन में बदले जाने का कार्य तो अब तक पोल शिफ्टंग तक भी नहीं पहुंच पाया है। केंद्र सरकार के सड़क एवं परिवहन मंत्रालय से स्वीकृत फोरलेन का निर्माण नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) की बजाए लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को दिया गया है।

एमआर-11 : बाउंड्रीवाल की बाधा डेढ़ साल बाद दूर नहीं

भरतपुरी रोड से इंजीनियरिंग कॉलेज कैंपस से होते हुए शिप्रा विहार तक फोरलेन का निर्माण केवल गिट्टी-मिट्टी तक ही पहुंच पाया है। निर्माण में इंजीनियरिंग कॉलेज की बाउंड्रीवाल की बाधा डेढ़ साल बाद भी दूर नहीं हो पाई है। बाउंड्रीवाल को तोड़कर आगे का निर्माण शुरू नहीं हो पा रहा है।

होस्टल : राशि स्वीकृत पर जमीन उपलब्ध नहीं छात्र-छात्राओं के लिए करीब 180-120 सीटर होस्टल बनाए जाना है, जिसके लिए जमीन अब तक उपलब्ध नहीं हो पाई है। ऐसे में 12 करोड़ की लागत से बनने वाले होस्टल का कार्य शुरू नहीं हो पा रहा है। होस्टल जी प्लस व जी प्लस थ्री बनाए जाना है।

माधवनगर : 100 बेड के लिए छत पर्याप्त नहीं, जमीन चाहिए माधवनगर अस्पताल में 100 बेड के लिए नई बिल्डिंग का निर्माण होना है। इसके लिए भी अब तक जमीन उपलब्ध नहीं हो पाई है। तीन मंजिला अस्पताल बिल्डिंग का निर्माण करीब 27 करोड़ से होना है, जिसके लिए अस्पताल के नार्म्स के तहत पुराने माधवनगर अस्पताल की छत पर्याप्त नहीं है, ऐसे में जमीन का आवंटन करना होगा। 100 बेड की बिल्डिंग का निर्माण अस्पताल के नार्म्स के तहत किए जाने के लिए करीब 7-8 हजार स्क्वेयर मीटर जमीन की आवश्यकता है।

संस्कृत कॉलेज : ड्राइंग की अप्रूवल ही नहीं मिली संस्कृत महाविद्यालय की बिल्डिंग के निर्माण के लिए पीआईयू की ओर से ड्राइंग-डिजाइन भेजी जा चुकी है, जिसका अप्रूवल भोपाल संस्कृति मंत्रालय से नहीं हुआ है। ऐसे में 10 करोड़ से बनने वाले संस्कृत महाविद्यालय की लागत अब 15 से 18 करोड़ रुपए तक पहुंच गई है। यह बिल्डिंग जी प्लस-टू बनाई जाना प्रस्तावित है।

मेडिकल कॉलेज : आवंटन निरस्त के बाद जमीन तय नहीं सरकारी मेडिकल कॉलेज के लिए इंजीनियरिंग कॉलेज कैंपस की जमीन का आवंटन निरस्त किए जाने के बाद नई यानी दूसरी जमीन उपलब्ध नहीं करवाई जा सकी है। ऐसे में कॉलेज का निर्माण अधर में है और बिल्डिंग के लिए करीब 262 करोड़ रुपए स्वीकृत पड़े हैं।

देवास रोड फोरलेन : पोल शिफ्टिंग कार्य ही शुरू नहीं देवास रोड पर तिलहन संघ से दताना-मताना हवाई पट्टी तक फोरलेन का निर्माण होना है। इसके लिए केंद्र सरकार के सड़क परिवहन मंत्रालय से करीब 48 करोड़ की राशि स्वीकृत होने के बाद भी कार्य में लेटलतीफी हो रही है। एनएचएआई की बजाय सड़क को फोरलेन किए जाने का जिम्मा पीडब्ल्यूडी को दिया तो वह कार्य ही तेजी से नहीं कर पा रहा है। बिजली के पोल शिफ्टिंग का कार्य तक शुरू नहीं हो पाया है। पीडब्ल्यूडी एसडीओ प्रफुल्ल जैन ने बताया कि देवास रोड फोरलेन का प्रारंभिक कार्य शुरू करवा दिया है। इसमें लेवलिंग का कार्य हो रहा है। बिजली के पोल भी शिफ्ट करवाए जाएंगे

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