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पंचक्रोशी यात्रा 3 मई से प्रारम्भ होकर 7 मई को यात्रा का समापन होगा


उज्जैन 24 अप्रैल। पंचक्रोशी यात्रा प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी 3 मई से प्रारम्भ होगी और 7 मई
को यात्रा का समापन होगा। महाकालेश्वर मन्दिर मध्य में स्थित है। तीर्थ के चारों दिशाओं में क्षेत्र की रक्षा
के लिये महादेव ने चार द्वारपाल शिवरूप में स्थापित किये हैं, जो धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्रदाता हैं।
जिनका उल्लेख स्कंदपुराण अन्तर्गत अवन्तिखण्ड में है। पंचेशानी यात्रा जिसे पंचक्रोशी यात्रा कहते हैं, इन्हीं
चार द्वारपालों की कथा, पूजा विधान में इष्ट परिक्रमा का विशेष महत्व है। पंचक्रोशी के मूल में इसी
विधान की भावना है। स्कंदपुराण के अनुसार अनन्तकाल तक काशीवास की अपेक्षा वैशाख मास में मात्र
पांच दिवस अवन्तिवास का पुण्यफल अधिक है। वैशाख कृष्ण दशमी पर शिप्रा स्नान व पटनी बाजार
स्थित नागचंद्रेश्वर मन्दिर में पूजन के पश्चात पंचक्रोशी यात्रा आरम्भ होती है, जो 118 किलोमीटर की
परिक्रमा करने के पश्चात कर्क तीर्थवास में समाप्त होती है और तत्काल अष्टतीर्थ यात्रा आरम्भ होकर
वैशाख कृष्ण अमावस्या को शिप्रा स्नान के पश्चात यात्रा का समापन होता है। वैशाख कृष्ण दशमी 3 मई
से यात्रा प्रारम्भ होकर वैशाख कृष्ण अमावस्या 7 मई को यात्रा का समापन होगा। यात्रा के पड़ाव एवं उप
उपड़ाव स्थलों में क्रमश: पिंगलेश्वर, करोहन, नलवा, अंबोदिया, कालियादेह महल, जैथल, उंडासा रहेंगे।

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