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श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा जन कल्याण के लिए सौमिक सुवृष्टि अग्निष्टोम सोमयाग का आयोजन


उज्जैन। श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा जन कल्याण के लिए सौमिक सुवृष्टि अग्निष्टोम सोमयाग का आयोजन 4 मई से प्रारंभ हो गया है। छह दिनों के अनुष्ठान के दौरान प्रतिदिन यज्ञ में औषधियुक्त आहूतियां डाली जाएगी। इसके पूर्व यह सोमयाग सोमनाथ ज्योर्तिलिंग व श्री ओमकारेश्वर-ममलेश्वर ज्योर्तिलिंग में किया गया है।

श्री महाकालेश्वर मंदिर परिसर में सोमयाग महाराष्ट्र के जिला सोलापुर के कासारवाडी तालुका बर्शी के विद्वान पं. चैतन्य नारायण काले के मार्गदशज़्न में किया जा रहा है। पं. काले ने बताया कि, इस सोमयज्ञ के ऋत्विक ब्राह्यण वेदाध्ययन सहित विशिष्ट श्रौत यज्ञों में प्रशिक्षित प्राविण्य प्राप्त होना संकल्पपुर्ति कामनापूर्ति के लिए अत्यावश्यक है। अगर ऋत्विक भी नित्य अग्निहोत्री अग्नि उपासक हो तो यज्ञ का फल द्विगुणित प्राप्त होता है। सोमयाग में 16 ऋत्विक के साथ एक अग्निहोत्री दीक्षित दम्पत्ति यजमान के रूप में समाज के प्रतिनिधि स्वरूप सम्मिलित हुई है।

हवि के रूप में सोमवल्ली (सोमरस) का उपयोग

5 हजार वर्ष प्राचीन पद्धति से होने वाले सोमयाग में महत्वपूर्ण सामग्री के रूप में उपयोग होने वाली वनस्पति सोमवल्ली जिसका सोमयाग में रस निकाल कर हवि रूप में प्रयोग होता है। वनस्पति सोमवल्ली के नाम पर इस याग का नाम सोमयाग है। वनस्पति सोमवल्ली पहाड़ों पर पायी जाती है। वैदिक मंत्रोच्चार के साथ वनस्पति को वनों-पर्वतों से एकत्र किया जाता है। सोमयाग के विहार स्थल पर बैलगाडी के नीचे इसको कूटकर रस निकाला जाता है इसी रस को सोमरस कहा जाता है, जिसका सोमयाग में हवि के रूप में प्रयोग किया जाता है।

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