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निर्जला एकादशी पर इन मंत्रों का करें जाप खुल जाएंगे सुख के द्वार, इसका भी रखें ध्यान


धर्म| ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी निर्जला एकादशी के नाम से जानी जाती है। इसके व्रत का पालन सबसे कठिन माना जाता है, साथ ही यह सबसे अधिक पुण्यफल देने वाली भी मानी जाती है। इसमें अन्न तो अन्न जल भी नहीं ग्रहण कर सकते। इसी कारण इस एक व्रत के रहने से साल की सभी एकादशी का पुण्य फल प्राप्त होता है। लेकिन इस दिन कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है, इसी के साथ इस दिन भगवान विष्णु के इन मंत्रों का जाप करना चाहिए।
निर्जल उपवास : धार्मिक ग्रंथों के अनुसार निर्जला एकादशी व्रत से अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण के समय तक जल ग्रहण नहीं कर सकते। इस तरह से व्रत के कठिन तप का पालन करने से भक्त को सभी एकादशी का फल मिलता है। साथ ही इस व्रत के प्रभाव से साल भर तक साधक को शुभ परिणाम ही प्राप्त होते रहते हैं। हालांकि इस दिन तुलसी को जल अर्पित करने का निषेध है, इस दिन तुलसी को छूना भी नहीं चाहिए। मान्यता है कि इस दिन तुलसी माता का भी उपवास रहता है, इसलिए उनका व्रत खंडित करने का प्रयास नहीं करना चाहिए।

सात्विकता का अभ्यास : पुरोहितों के अनुसार यदि कोई व्यक्ति निर्जला एकादशी व्रत नहीं रख रहा हैं तो भी इस दिन उसे चावल, पान, नमक, पान, मसूर की दाल, मूली, बैंगन, प्याज, लहसुन, शलजम, गोभी, सेम और तामसिक भोजन से परहेज करना चाहिए।

ब्रह्मचर्य और उत्तम आचरण : धर्म ग्रंथों के अनुसार निर्जला एकादशी के दिन ब्रह्मचर्य और उत्तम आचरण का पालन करना चाहिए। इस दिन भूलकर भी स्त्री संग प्रसंग नहीं करना चाहिए। इस दिन किसी व्यक्ति के प्रति बुरे विचार नहीं रखना चाहिए। चुगली नहीं करना चाहिए, क्रोध नहीं करना चाहिए। वाद-विवाद से दूर रहना चाहिए। पलंग पर नहीं सोना चाहिए। किसी जीव को परेशान नहीं करना चाहिए।
एकादशी माता की आरती
ऊं जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता॥
ऊं जय एकादशी...॥
तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी।
गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी॥
ऊं जय एकादशी...॥
मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई॥
ऊं जय एकादशी...॥
पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है।
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनंद अधिक रहै॥
ऊं जय एकादशी...॥
नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै॥
ऊं जय एकादशी...॥
विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी।
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की॥
ऊं जय एकादशी...॥
चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली।
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली॥
ऊं जय एकादशी...॥
शुक्ल पक्ष में होयमोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी।
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी॥
ऊं जय एकादशी...॥

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