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जानिए क्यों मनाया जाता है अर्थ रोटेशन डे


यह तो हमने बचपन में अपनी स्कूली किताबों में पढ़ा है कि पृथ्वी अपने अक्ष पर एक चक्कर 24 घंटे में पूरा कर लेती है और साथ ही 365 दिन में सूर्य का एक चक्कर लगाती है। हमारे सौरमंडल में सूर्य, पृथ्वी के परिभ्रमण (रोटेशन) को लेकर इंसान के मन में हजारों सालों से जिज्ञासा है, लेकिन Earth's Rotation Day 8 जनवरी को मनाने के पीछे की भी एक किस्सा है।

दरअसल 8 जनवरी को फ्रांसीसी भौतिक विज्ञानी लियोन फौकॉल्ट के उस प्रदर्शन को याद किया जाता है, जो उन्होंने साल 1851 में दिखाया था। लियाोन फौकॉल्ट ने 1851 में मॉडल के जरिए सबसे पहले यह दर्शाया था कि आखिर धरती अपनी धुरी पर कैसे घूमती है।

दार्शनिकों और वैज्ञानिकों को यह पता लगाने में कई साल लग गए कि धरती सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है। 470 ईसा पूर्व के आसपास कुछ यूनानी खगोलविदों ने यह जरूर खोज लिया था कि धरती अपनी आप से चलती है और इसे सिद्ध करने के लिए खगोलविदों ने कई प्रयोग भी किए थे। लेकिन तब यूनानी खगोलविदों को यह नहीं पता था कि धरती सूर्य के भी चक्कर लगाती है।

तमाम खोजों और निष्कर्षों के बाद 8 जनवरी 1851 को फ्रांसीसी भौतिकी विज्ञानी लियोन फौकाल्ट ने सबसे पहली बार एक पेंडुलम के साथ यह प्रदर्शन करके बताया कि आखिर धरती अपने अक्ष पर घूमते हुए सूर्य के चारों ओर चक्कर किस तरह से लगाती है। बाद में लियोन के द्वारा बनाया गया पेंडुलम काफी प्रसिद्ध हो गया और धरती के परिभ्रमण को दिखाने के लिए उसी मॉडल का उपयोग किया जाने लगा।

बाद में लियोन के पेंडुलम मॉडल को पेरिस ऑब्जर्वेटरी के साथ-साथ ग्रीस में भी प्रदर्शित किया गया। आज भी दुनियाभर के कई खगोल विज्ञानी से संबंधित संग्रहालयों में इसे दिखाया जाता है। अर्थ रोटेशन डे का महत्व इसलिए है क्योंकि भौतिक विज्ञानी लियोन फौकाल्ट के उस मॉडल को बच्चों के बीच में ज्यादा पसंद किया जाता है। बच्चे भी इस मॉडल को देखकर खगोल विज्ञान के प्रति आकर्षित होते हैं।

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