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धरती के करीब से गुजरेगा इरासमुस-C पुच्छल तारा, दिसंबर में नग्‍न ऑंखों से देख सकेंगे


करोड़ों साल पहले हमारी धरती से डायनासोर जैसी खतरनाक प्रजाति को खत्म करने वाला एक पुच्छल तारा (कामेट) सूर्य की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। फिलहाल यह पुच्छल तारा धरती के करी से गुजरने वाला है और दिसंबर माह में इसे नग्न आंखों से बगैर देखा जा सकता है। जैसे-जैसे यह पुच्छल तारा सूर्य की ओर बढ़ते जा रहा है, आसमान में खूबसूरती बिखेर रहा है। इस पुच्छल तारे (कामेट) का नाम वैज्ञानिकों ने इरासमुस-C 2020S3 रखा है। दिसंबर में यह पुच्छल तारा बुध ग्रह के करीब पहुंचने लगेगा, तब इसे नग्न आंखों से भी देखा जा सकेगा। खगोल विज्ञानी अब इस आसमानी घटना का अध्ययन करने के लिए तैयारी में जुट गए हैं।

लंबी पूछ वाले होते है पुच्छल तारे
आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) नैनीताल के खगोल विज्ञानी डॉ. शशिभूषण पांडे ने बताया कि लंबी पूंछ वाले पुच्छल तारे भी सूर्य की परिक्रमा कर वापस अपने मार्ग में आगे बढ़ जाते हैं। पुच्छल तारे हमारे सौरमंडल के आखिरी छोर के आब्जेक्ट हैं। जब यह सूर्य के करीब पहुंचने लगते हैं तो इनकी पूंछ सी निकल आती है, जो कई लाख किमी लंबी होकर चमकदार होने लगती है।

पांडे ने बताया कि हाल के दिनों में इरासमुस-C 2020S3 नाम का पुच्छल तारा हमारे करीब आ पहुंचा है। सितंबर में दक्षिणी अफ्रीका के एस्ट्रोनोमर निकोलस इरामुस ने इसे पहली बार देखा और उन्हीं के नाम पर इसका नामकरण किया गया है। फिलहाल इस पुच्छल तारे को टेलीस्कोप की मदद से देखा जा सकता है। दिसंबर में यह बुध ग्रह के काफी करीब पहुंचने वाला है, तब यह नग्न आंखों से देखा जा सकेगा।

पुच्छल तारों के मलबे से होती है उल्कावृष्टि
वैज्ञानिकों के मुताबिक लंबी पूंछ बनाने वाले पुच्छल तारे खगोलीय घटनाओं के लिहाज से दोहरे आकर्षण का केंद्र होते हैं। जब यह सूर्य के करीब पहुंचते हैं तो इनकी लंबी चमकदार पूंछ काफी सुंदर लगती है। इसके अलावा यह पृथ्वी के पाथ पर धूल व कंकण का मलबा छोड़ जाते हैं। जब यह धरती के गुरुत्वाकर्षण के संपर्क में आते हैं तो मलबे के कण धरती के वातावरण में जल उठते हैं। जिस कारण आसमानी आतिशबाजी देखने को मिलती है, जिसे उल्कावृष्टि भी कहा जाता है।

पुच्छल तारे के कारण खत्म हो गए थे डायनासोर
पुच्छल तारों और क्षुद्रग्रहों की एक विशेष कक्षा होती है और ये उसी में सूर्य की परिक्रमा करते हैं। पृथ्वी से टकराने की संभावना नहीं के बराबर होती है। पिछली बार 6 करोड़ 60 लाख साल पहले एक क्षुद्रग्रह पृथ्वी से टकराया था, जिसके कारण डायनासोर प्रजाति का धरती से पूरी तरह से सफाया हो गया था।

कई बार यह आशंका जरूर जताई जाती है कि कोई पुच्छल तारा पृथ्वी से टकरा सकता है। इसकी वजह यह होती है कि पुच्छल तारे बहुत लंबे समय बाद सूर्य के करीब आते हैं और उसी समय ये पृथ्वी के पास से भी गुजरते हैं। लेकिन इनका पथ अलग होता है। वैसे तो नासा और दुनिया की अंतरिक्ष एजेंसियां इन खगोलीय पिंडों पर नजर रखती है, लेकिन अभी तक किसी ने यह नहीं पाया है कि कोई पिंड पृथ्वी से टकराने वाला है।

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