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सौमिक सुवृष्टि अनुष्ठान (अग्निष्टोम सोमयाग) के पंचम दिवस विविध वेदोक्त देवताओं को सोमरस के माध्यम से आहुति प्रदान की गई


 
उज्जैन 08 मई 2024। श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा पूर्व में समय-समय पर उत्तम जलवृष्टि के लिए पर्जन्य अनुष्ठान के आयोजन किये गये हैं। इसी तारतम्य में जन कल्याण हेतु सौमिक सुवृष्टि अग्निष्टोम सोमयाग का आयोजन श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा 04 मई से 09 मई 2024 तक (क्रोधीनाम संवत्सर, चैत्र कृष्ण एकादशी से वैशाख शुद्ध द्वितीया तक) श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रागंण में किया जा रहा है |
 
यज्ञाचार्य श्री चैतन्य नारायण काले जी ने बताया कि, सोमयाग में देवताओं की संतुष्टि के लिए सामवेद के मंत्रो के स्तोत्र गायन, ऋग्वेद के मंत्रो के शस्त्र पाठ एवं यजुर्वेद के मंत्रो द्वारा हवि (सोमरस) प्रदान की जाती है |
चार दिवस की यज्ञ सिद्धता के बाद पाचवे दिन प्रत्यक्ष प्रधान देवता उपस्तिथ होकर अग्निमुख के हवि ग्रहण करते है | जिन यज्ञ में सोमवल्ली का क्रय होता है, इन यज्ञो को ऋतु कहा जाता है | सोमयज्ञो में तीन लोक से उत्पन्न तीन प्रकार के वेड मंत्रो का सुनियत रुप से प्रयोजन किया जाता है | वेदों में "अग्निहोत्र फला: वेदा:" कहा गया है ।
 
अग्निहोत्र का फल सारी सृष्टि को ज्ञान देने वाले वेद को ही कहते है | इन अग्निहोत्रादि सोमयज्ञो का मनुष्य की कामनापूर्ति तथा सृष्टि का ऋतुसंतुलन के लिए सभी संधि काल में प्रयोग होता है | 
 
सोमयाग के पंचम दिवस को प्रधान सुत्याह दिन कहते है | उस दिन सूर्योदय से लेकर देर रात तक विविध वेदोक्त देवताओं को जैसे मित्र, वरूण, अग्नि, इन्द्राग्नी, अश्विनी, मरुत, महेन्द्र, आदित्य, आदि को सोमरस का हवन होता है |  इस दिन सभी देवता हवी से संतुष्ट होकर यज्ञ फल प्रदान करते हैं। यह देखने के लिए आनंदित होकर पितृलोक के देव-पितर भी आते है, उन्हे पिण्ड रूप हविर्भाग प्रदान होता है। ऐसे विविधता से भरे प्रधान दिन सम्पन्न होता है।

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