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महामंडलेश्वर का पद योग्यता के आधार पर मिले न की अर्थ बल पर - पुजारी महासंघ ने आखाड़ा परिषद की कार्रवाई की प्रशंसा और मंदाकिनी के कृत्य की निंदा की


उज्जैन- महामंडलेश्वर बनाने के नाम पर रुपए की मांग करने वाली महिला संत मंदाकिनी पुरी 
महाकालेश्वर मंदिर की व्यवस्था पर भी टिका टिप्पणी कर मंदिर की प्रतिष्ठा को धूमिल करने का प्रयास कर चुकी है। 
सनातन धर्म में तो शंकराचार्य जी से लेकर सड़कों पर घूमने वाले संतों का भी सम्मान हैं। लेकिन यहीं साधु, जब घमंड में चूर होकर मंदिरों की परंपराओं और व्यवस्थाओं को न माने तो वह संत कहां। मंदाकिनी ने मंदिर आकर ड्रेस कोड का कभी पालन नहीं किया। लेकिन अब जब उनकी कारगुजारी सार्वजनिक हुई तो आज संपूर्ण संत समाज पर सवाल उठ रहे। अखिल भारतीय पुजारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेश पुजारी ने इस मामले में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी महाराज के द्वारा मंदाकिनी पुरी को महामंडलेश्वर पद से तुरंत निष्कासित करने पर हर्ष जताते हुए उन्हें धन्यवाद दिया तो मंदाकिनी पुरी द्वारा किए गए इस कृत्य की निंदा की। पुजारी ने प्रधानमंत्री जी को भी पत्र के जरिए मांग करते हुए हैं कि सनातन धर्म की मर्यादा, पद और प्रतिष्ठा किस आधार पर दी जाती हैं योग्यता या पैसों से। इसके लिए सरकार का क्या कानून हैं ? महामंडलेश्वर, आचार्य या संत बनने वाले व्यक्ति को इस बात से अवगत कराया जाए की पद पाने के लिए कितनी परीक्षा एवं समय के बाद यह पद प्राप्त होता हैं। यदि पद पैसों के बल पर मिलेगा तो जल्द ही सनातन धर्म समाप्त हो जायेगा। इसलिए महामंडलेश्वर, आचार्य, संत देश में योग्यता के बल पर तय कर नियम व पद के मुताबिक पद प्राप्त करने की परीक्षा होनी चाहिए। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री से मांग हैं कि पैसे देकर खरीदे जाने वाले ऐसे पदों को लेकर रोक लगाना चाहिए ताकि सनातन धर्म की मूल प्रतिष्ठा को बचाया जा सकें।

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