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स्वतंत्रता दिवसः शहीदों को श्रद्धांजलि देने का वक्त शहीदों के परिजनों की सुध लेने की जरूरत


  डाॅ. चन्दर सोनाने
                             15 अगस्त 1947 को हमारा देष आजाद हुआ था। हम सबको पता हैं कि देष को आजाद करने में अनेक वीरों ने अपने प्राणों का बलिदान किया, तब कहीं जाकर हमें आजादी हासिल हुई हैं। इस दिन हमारा कर्तव्य है,उन शहीदों को श्रद्धांजलि देने का, जिन्होंने देश को आजाद करने में अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। साथ ही आज का दिन हमें  यह भी याद दिलाता है कि, हमें उन शहीदों के परिजनों की भी सुध लेने की जरूरत है,जिन्होंने अपने परिवार से ज्यादा देश को अहमियत दी।
                     देश को आजादी दिलाने में जहाँ लोकमान्य तिलक , महात्मा गांधी जैसे महापुरूषों की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका है, वहीं हमें यह भी ध्यान रखना हैं उन वीरों का जिन्होंने अपना सब कुछ देश पर न्यौछावर कर दिया । हम उनके परिवारों की सुध लें। सुभाषचन्द्र बोस, चन्द्रशेखर आजाद , भगत सिंह , सुखदेव, राजगुरू आदि चंद ऐसे वीर सपूतों के नाम हैं ,जिन्हें हम हमेषा याद रखेंगे। इन्होंने अपना तन मन धन देश पर न्यौछावर कर दिया। किन्तु, हमें यह भी ध्यान देने की जरूरत है कि, ऐसे अनेक वीर सपूत हुए हैं, जिनका नाम इतिहास में कहीं नहीं

दिखाई देता हैं। ज्ञात वीरों से अधिक संख्या में उन वीर सपूतों के नाम हैं, जिन्हें हम नही जानते। उन्होंने चुपचाप अपना कर्तव्य निभाया। देष को आजाद करने के लिए। उन्होंने अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया, देष के लिए।
                    आज स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर हमें नए सिरे से एक बार फिर से यह देखना होगा कि  किन-किन वीर सपूतों ने अपने प्राणों की बाजी लगा दी । वे कौन थे ? उनके माता-पिता कौन थे ? और उनके परिवार के शेष सदस्य अब कहाँ हैं ? किस हाल में हैं ? किस स्थिति में हैं ? उन शहीदों के वंशजों एवं परिजनों की सुध लेने की जरूरत हैं। हमें यह देखना हैं कि वे आज कैसी जिंदगी जी रहे हैं। वे खुशहाल हैं या नही ? उनके सिर पर छत हैं या नही ? उनके दोनो समय के भोजन का बंदोबस्त हो रहा है या नही ? इसके लिए प्रत्येक जिले, प्रदेश एवं देश भर के लिए एक मुहिम चलाने की जरूरत हैं। इसके लिए केन्द्र शासन और राज्य शासन को मिलकर सम्मिलित प्रयास करना चाहिए। यह काम छोटा नही हैं । बहुत महत्वपूर्ण हैं । इसके लिए एक और ठोस नीति की आवष्यकता हैं, जिसके तहत शहीदों के परिजनों को तलाशा जा सकें और उनकी माली हालत का पता लगाया जा सकें। सर्वे में हमें शहीदों के परिजनों की स्थिति ज्ञात होनें पर उनके लिए सम्मानजनक जीवन जीने की ठोस व्यवस्था तैयार करने की भी जरूरत हैं। यह सब करने के बाद ही हम वीर सपूतों और शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि दे सकेंगे।

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