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भीेषण बारिश से नगर जलमग्न: कारणों की पड़ताल जरूरी


 डाॅ. चन्दर सोनाने
पिछले एक सप्ताह से लगातार हो रही तेज बारिष से उज्जैन का जन जीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया हैं। इसी बिच केवल एक ही दिन में 24 घंटे में 18 इंच बारिष और उसके अगले ही दिन 6 इंच बारिष हुई। इस प्रकार दो दिनों में 48 घंटे में 24 इंच हुई भीेषण बारिष ने षहर भर को जलमग्न कर दिया। नागरिक त्रस्त हो गए। व्यापार बंद हो गया। लगातार तीन दिन तक स्कूल काॅलेज बंद करने पडे़। निचली बस्तियों झुग्गी झोपडि़यों और कच्चे मकानों में रहने वाले गरीब लोग ज्यादा पीडि़त और त्रस्त हुए। सडकें नाला बन गई । चारो तरफ पूरा षहर ही जलमग्न हो गया।
                ऐसी ही स्थिति करीब दो दषक पूर्व सूरत नगर में आई थी। वहाँ तेज व भीेषण बारिष ने जनजीवन को पूरी तरह से त्रस्त कर दिया था। पूरा षहर कई दिनांे तक जलमग्न रहा। अनेक दिनांे के बाद जब पानी उतरा तो संक्रामक बिमारियों ने पूरे षहर को अपनी गिरफ्त में ले लिया। भीेषण बारिष और संक्रामक रोगांे के कारण उस समय सूरत में सैकडों मौतें हुई। सूरत में अचानक आई इस आपदा का सामना नागरिकों ने जैसे-तैसे कर लिया। किंतु , सबसे महत्वपूर्ण बात यह हुई कि भीषण बारिष से षहर को जलमग्न कर देने के कारणो की पड़ताल हुई। विस्तृत वैज्ञानिक प्रक्रिया से सर्वे हुआ, और सर्वे के परिणाम जब सामने आए तो वे आष्चर्यचकित और चैंकानेे वाले थे।
                पहला कारण यह था कि प्राकतिक बहाव को रोकने के प्रयास जाने- अनजाने वहाँ के स्थानीय निकाय और नागरिकों के द्वारा किया गया। नदी किनारों , प्राकृतिक बहाव के रास्तो, तालाबों और नालों पर अनियंत्रित और बेतरतीब तरीकांे से अतिक्रमण होना पाया गया। इसके कारण जब बाढ़ का पानी षहर में घुसा तो उसे प्राकृतिक निकासी नही मिलने के कारण वह पानी षहर भर में फैल गया। बाढ़ के पानी को कई दिनो तक बाहर निकलने का रास्ता ही नही मिला। इस कारण पुरा षहर जलमग्न हो गया।
                 दूसरा महत्वपूर्ण कारण यह पाया गया कि षहर में बेतहाषा अवैध अतिक्रमण हुए और अवैध काॅलोनिया विकसित हुई। खेतो में ही प्लाॅट काट दिए गए। इस कारण भीषण बाढ़ के पानी को बाहर निकलने का रास्ता नही मिला और वह  काॅलोनियों को ही अपने आगोष में लेता रहा।
                 सूरत में जिन कारणों कि पडताल हुई थी और उससे जो परिणाम प्राप्त हुए थे, उनको वहाँ पर पोथी में बाँध कर नही रखा गया, बल्कि उसका गहन अध्ययन, चिंतन और मनन करने के बाद विस्तृत  अल्पकालीन एवं दीर्घकालीन योजनाएँ तैयार की गई।
योजनाबद्ध तरीकों से षहर की प्रत्येक काॅलोनियों से प्राकृतिक रूप से पानी के बहाव के रास्ते निकाले गए । अवैध अतिक्रमण सख्ती से हटाए गए। और वैध काॅलोनियों के नक्षे पास करते समय दिए गए निर्देषों की सख्ती से जाँच की गई। नियमों का वहाँ के नागरिकों के द्वारा भी पूरी ईमानदारी के साथ पालन किया गया। इसका परिणाम यह हुआ कि सूरत आज देष के सबसे व्यवस्थित स्वच्छ एवं सुंदर षहरों में से एक हैं।
                  सूरत के संदर्भ में हम उज्जैन में पिछले दिनो हुई भीषण बारिष का गहन चिंतन, मनन करे तो स्पष्ट रूप से यह परिलक्षित होता हैं कि सूरत में आई भीषण बाढ़ के कारण और हाल ही में उज्जैन में हुई भीषण बारिष के कारण लगभग समान हैं। उज्जैन में झुग्गी झोपडि़यों व निचली बस्तियों में रहने वाले लोगो के घर डूब गए। उनका सारा सामान पानी में भीग गया,उन्हें मजबूरन जिला प्रषासन द्वारा बनाए गए राहत षिविरों में तीन चार दिन गुजारने पडे़। एक दो दिन बारिष कम होने के बाद फिर से हुई तेज बारिष ने उन्हें फिर से राहत षिविरो की षरण लेने को मजबूर कर दिया गया।
                  उज्जैन में भी सूरत की तरह बंदोबस्त करने, प्राकृतिक बहाव की पहचान करने, नदियों, तालाबो और नालों पर हुए अतिक्रमण सख्ती से हटाने, तथा भविष्य में अनियंत्रित काॅलोनियाँ नही बसे इस पर सख्ती से रोक लगाने की जरूरत हैं।
                   यह खुषी की बात हैं कि लगातार तीन दिन तक षिप्रा के बडे पुल पर पानी रहने और गंभीर डेम के गेट खोले जाने की स्थिति के नियंत्रण में आने के तुरंत बाद ही संभागायुक्त श्री रवीन्द्र पस्तौर, कलेक्टर श्री कविन्द्र किवायत, पुलिस अधिक्षक श्री एम.एल.वर्मा और नगर निगम आयुक्त श्री अविनाष लवानिया ने बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रांे का भ्रमण किया तथा बाढ़ आने, निचली बस्तियों के डूबने, प्राकृतिक बहाव के रास्ते रोकने, अतिक्रमण आदि कारणांे की पड़ताल की। उन्होंने उन सभी स्थानो का निरीक्षण किया जो बाढ़ के कारण डूब गए थे। उनके द्वारा अधिकारियों को आवष्यक निर्देष भी मौके पर ही दिए गए। अब जरूरत इस बात की है कि कारणांे की पडताल करने के बाद जो परिणाम सामने आए उनको बस्तों में ही बंद नही रहने दिया जाए, बल्कि सूरत की तरह उज्जैन में भी अल्पकालीन व दीर्घकालीन योजनाएं बनाकर उनका क्रियान्वयन सुनिष्चित किया जाए, जिससे भविष्य में भीषण बारिष होने पर भी नागरिको को वर्तमान जैसी परिस्थितियों का सामना नही करना पडे।

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