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मिट्टी के पात्र में देशी गाय का घी उबाला, गाय व बकरी का ताजा दूध निकालकर दी आहुति


महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के आंगन में 4 मई से आयोजित किए जा रहे सौमिक सुवृष्टि अग्निष्टोम सोमयाग में मंगलवार को दो बार प्रवर्ग्य विधि करवाई गई। श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति का यह आयोजन 9 मई तक चलेगा। सोमयाग के चौथे दिन सोम-याग के विघ्नकारी असुरों की पराभव-कामना से यजमान ने उपसद नामक यज्ञ किया। उसमें सुबह और शाम को सोम और विष्णु देवता के नाम पर घी की आहुतियों से होम किया। बाद में सुबह 10 से 11.30 बजे के बीच प्रवर्ग्य विधि करवाई गई।

सोमयाग में दूसरे, तीसरे व चौथे दिन प्रतिदिन दो-दो प्रवर्ग्य किए गए। संपूर्ण याग के दौरान 6 प्रवर्ग किए गए। चौथे दिन दोनों प्रवर्ग्य सुबह ही हुए, जो सुबह 9 से 9.30 बजे के बीच व सोमयाग का अंतिम प्रवर्ग्य सुबह 11 से 11.30 के बीच किया गया।

प्रवर्ग्य में मिट्टी के पात्र में शुद्ध देशी गाय का घी उबाल कर उसमें गाय और बकरी का ताजा दूध निकालकर आहुति दी। उसमें से एक अत्यंत तेजस्वी अग्नि ज्योत अग्नि स्तंभ (फायर बाल) के रूप में प्रकट होती है। यह सनातन वैदिक सोम यज्ञों में धरा को आदित्य से दिव्यता को जोड़ने की वैज्ञानिक प्रक्रिया मानी जाती है।

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