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पंचक्रोशी के बाद अष्टतीर्थ, नदी किनारे 28 तीर्थ पहुंचे एक लाख श्रद्धालु


42.5 डिग्री तापमान। पैदल चलते यात्री। 118 किलोमीटर का सफर। वैशाख माह में पंचक्रोशी में मिनी सिंहस्थ के नजारे दिखाई दिए। दो दिन पहले आए यात्रियों ने चार मुख्य पड़ाव पर तीर्थ लाभ लेने के बाद शहर का रुख किया। बुधवार को शहर पहुंचे यात्रियों के लिए सामाजिक संस्थाओं ने सत्कार, सेवा में कोई कोर कसर नहीं रखी। पंचक्रोशी के बाद यात्रा का सैलाब अष्टतीर्थ यात्रा के लिए रवाना हो गया। इसके अलावा अमावस्या होने से श्रद्धालुओं ने शिप्रा में स्नान का लाभ भी लिया।

ज्योतिर्विद पं. आनंदशंकर व्यास के अनुसार अष्टतीर्थ यात्रा के दौरान कर्कराज से मंगलनाथ तक नदी के दोनों ओर 28 तीर्थ आते हैं। पंचक्रोशी के बाद इनका पूजन, अर्चन का महत्व माना गया है। पं. अजय व्यास ने बताया कि पंचक्रोशी के बाद अष्टतीर्थ का महत्व है, यह पुण्यतीर्थ है। इसकी शुरुआत सम्राट विक्रमादित्य काल से मानी जाती है।

भक्तों को मिला महाकाल का प्रसाद

श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति की ओर से पंचक्रोशी यात्रियों के लिए भोजन प्रसादी का स्टॉल लगाया गया। श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष व कलेक्टर नीरजकुमार सिंह ने बताया कि अन्नक्षेत्र में पंचक्रोशी यात्रियों के लिए नि:शुल्क भोजन प्रसाद की व्यवस्था की गई है। आयुर्वेद औषधालय भैरवगढ़ ने नि:शुल्क आयुर्वेदिक औषधियों का वितरण किया। आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी डॉ. श्वेता गुजराती ने यात्रियों का परीक्षण भी किया। श्री योग वेदांत समिति उज्जैन, इंदौर, कायथा के अनुयायियों ने मंगलनाथ मार्ग पर भोजन और शरबत का वितरण किया।

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