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ये योग बनता है तो नहीं होती है शादी, संन्यासी बन जाता है व्यक्ति, ऐसी रहती है कुंडली


अक्सर हम समाज में देखते हैं कि कुछ लोग भौतिक सुख सुविधाओं को छोड़कर संन्यास ग्रहण कर लेते हैं। ऐसे लोगों को परिजन से भी कोई मोह नहीं रहता है। दरअसल इस बारे में भारतीय ज्योतिष में विस्तार से उल्लेख किया है और ग्रहों की स्थिति के कारण कुछ लोगों की कुंडली में संन्यास योग निर्मित होता है और इस कारण से वे मोह माया छोड़कर संन्यास ग्रहण कर लेते हैं।
आंतरिक शांति की तलाश

संन्यास योग प्रबल होने पर व्यक्ति ईश्वर के प्रति आसक्त हो जाता है और जीवन में आंतरिक शांति की तलाश करने के लिए भी प्रेरित होता है। भौतिकवाद में उसकी कोई रूचि नहीं होती है। सन्यास योग तब बनता है, चार या अधिक बलवान ग्रह एक भाव या राशि में एक साथ होते हैं। संन्यास की प्रकृति ग्रहों के उस विशेष समूह में सबसे मजबूत ग्रह पर निर्भर करता है। यदि सूर्य सबसे मजबूत ग्रह हो तो उच्च नैतिकता और बौद्धिक कौशल का व्यक्ति कठिन परंपराओं के साथ संन्यास ग्रहण करता है। यहां जानें किन ग्रहों के प्रभाव के कारण कोई व्यक्ति संन्यासी बन जाता है -

- कुंडली में दूसरा भाव परिवार का होता है और चौथा भाव मां तो पत्नी का सप्तम भाव होता है। व्यक्ति जीवन भर इन्हीं भाव से बंधकर रहता है। यदि इन भावों पर शनि व केतु का प्रभाव अधिक हो तो जातक घर छोड़कर विरक्ति की राह पकड़ लेता है।
- यदि लग्न कुंडली में लग्न भाव का स्वामी मंगल, गुरु व शुक्र हो और इस पर शनि की दृष्टि हो तो ऐसे व्यक्ति भी तीर्थ यात्रा पर निकल जाता है और अचानक से संन्यास ले लेता है।

- केतु और गुरु को संन्यास व मोक्ष का कारक माना जाता है। यदि जातक की कुंडली में यात्रा, कष्ट व हानि के लिए द्वादश भाव को जिम्मेदार माना जाता है। शनि व केतु ग्रह द्वादश भाव में जातक से तपस्या करवाते हैं।
- यदि लग्न कुंडली में सूर्य, शनि और गुरु ग्रह अष्टम भाव में हो व इस भाव में कोई भी ग्रह अस्त न हो. ऐसी कुंडली वाला जातक मंदिरों का निर्माण करवाता है.
- व्यक्ति की कुंडली में दशम भाव का स्वामी चार बलवान हो तो ऐसे में जातक राजा की तरह अमीर होने के बाद भी सब त्याग कर संन्यास ले लेता है।
- कुंडली में नवम भाव का स्वामी बलवान व पंचम भाव में विराजमान हो और शुक्र ग्रह की दृष्टि हो तो व्यक्ति शास्त्रों व वेद का अच्छा ज्ञाता होता है।
- शुक्र ग्रह का बलवान योग यदि अष्टम व दशम भाव में बने तो ऐसे व्यक्ति आधुनिक होने के साथ ही धर्म का भी ज्ञाता होता है। संन्यास के महत्व को अच्छे से समझता है।

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