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नजूल पट्टे का बकाया शेष नहीं होने पर 30 वर्ष के लिए होगा नवीनीकरण


स्थायी पट्टों के लिये नई नीति निर्धारित : राजस्व मंत्री श्री गुप्ता 

राज्य शासन ने नजूल के स्थायी पट्टों के नवीनीकरण की नयी नीति निर्धारित की है। नीति के माध्यम से स्थायी पट्टों की शर्तों के उल्लंघन/ अपालन के प्रकरणों का त्‍वरित निराकरण होने के साथ ही पट्टों का नवीनीकरण भी हो सकेगा। प्राधिकृत अधिकारी नवीनीकरण के पहले वार्षिक भू-भाटक निर्धारित करेगा। यह अंतिम निर्धारित भू-भाटक का 6 गुना होगा।

राजस्व मंत्री श्री उमाशंकर गुप्ता ने जानकारी दी है कि स्थायी पट्टे के नवीनीकरण और शर्त उल्लंघन के शमन के लिए जिला कलेक्टर या उसके द्वारा प्राधिकृत अपर कलेक्टर प्राधिकृत अधिकारी होंगे। स्थायी पट्टे की समाप्ति के एक वर्ष पहले की अवधि के दौरान कभी-भी नवीनीकरण के लिए आवेदन किया जा सकेगा। अवधि समाप्ति के बाद विलम्ब से प्राप्त आवेदनों पर शमन राशि अधिरोपित की जायेगी। यह आदेश 31 मार्च 2017 के पहले जारी किये गए स्थायी पट्टों के संबंध में प्रभावशील होंगे। ऐसे मामले, जिनमें स्थायी पट्टों की अवधि 31 मार्च 2017 के पहले समाप्त हो चुकी है तथा पट्टे की शर्त के उल्लंघन की स्थिति निर्मित हो रही है, में इस परिपत्र के जारी होने के दिनांक 4 मई 2018 से एक वर्ष तक आवेदन किया जा सकेगा। प्राप्त आवेदनों का निराकरण निर्धारित समय-सीमा में किया जायेगा।

प्राधिकृत अधिकारी पट्टे के नवीनीकरण के पहले नजूल अधिकारी/ तहसीलदार नजूल के माध्यम से निर्धारित बिन्दुओं पर रिपोर्ट लेगा। स्थायी पट्टों की किन्हीं शर्तों का उल्लंघन पाये जाने पर पट्टेदार को सुनवाई का अवसर देने के बाद प्राधिकृत अधिकारी द्वारा प्रकरण का निराकरण किया जायेगा।

आवासीय भू-खंड में पट्टेदार द्वारा आवासीय उपयोग के साथ संरचना के 25 प्रतिशत से कम भाग का उपयोग स्वयं अथवा परिवार के किसी सदस्य द्वारा ट्यूशन, सिलाई-कढ़ाई, पापड़-बड़ी जैसे कुटीर उद्योग के लिए किया जाता है, तो वह प्रयोजन परिवर्तन नहीं माना जायेगा। लेकिन कोचिंग क्लासेस, बुटीक अथवा ब्यूटी पार्लर के लिए उपयोग करने पर इसे वाणिज्यिक प्रयोजन माना जायेगा। गेस्ट हाउस अथवा हॉस्टल चलाने को भी वाणिज्यिक प्रयोजन माना जायेगा। पट्टेदार निर्धारित प्रक्रियानुसार व्यावसायिक प्रयोजन के लिए परिवर्तन करवा सकता है।

मूल पट्टेदार की मृत्यु होने पर उत्तराधिकारी को पट्टे का अंतरण करवाना होगा। इसके बाद नवीनीकरण होगा। भू-खंड के दान अथवा विक्रय पर भी अंतरण की कार्यवाही होगी।

ऐसे मामलों में जिनमें पट्टावधि अवसान के बाद नवीनीकरण कराए बिना ही भू-खण्ड का अंतरण किया गया है, अंतरिती द्वारा नवीनीकरण चाहे जाने पर इस कंड़िका के अन्य प्रावधानों के अध्यधीन रहते हुए सर्वप्रथम मूल पट्टेदार के नाम कल्पित नवीनीकरण स्वीकार करते हुए, तद्क्रम में अंतरण के आधार पर अंतरिती के नाम से नवीनीकरण किया जाएगा।

ऐसे मामलों में जिनमें पट्टावधि के अवसान होने के बाद तीस वर्ष या उससे भी अधिक की अवधि बीत चुकी है, इस परिपत्र के अन्य प्रावधानों के अध्‍यधीन रहते हुए मूल पट्टा की अवसान तिथि को तीस वर्ष के लिये कल्पित नवीनीकरण मान्य करते हुए तद्क्रम में आगमी तीस वर्ष के लिये पट्टे का नवीनीकरण किया जाएगा।

शर्त उल्लंधन के प्रकरणों में शमन राशि जमा किए जाने की सूचना देने के एक माह के अंदर शमन राशि जमा करना होगा एवं प्रकरण के निराकरण के बाद एक माह के अंदर नवीन पट्टा तैयार कर विधिवत पंजीयन कराना होगा। पट्टा नवीनीकरण के प्रकरणों के निराकरण के लिए 6 माह की समय-सीमा का निर्धारण किया गया है।

राजेश पाण्डेय

 

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