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इस मंदिर में साक्षात वास करते है नागराज, साल में एक बार ही होते है दर्शन


इस मंदिर में पुजारी के अलावा और कोई भी प्रवेश नहीं कर सकता है। जिसकी वहज है मंदिर में विराजमान नागराज और उनकी अद्भुत मणि...

चमोली जिले के देवाल में मौजूद लाटू देवता मंदिर में पुजारी को भी आंख, नाक और मुंह पर पट्टी बांध कर देवता की पूजा करनी पड़ती है। श्रद्धालु इस मंदिर परिसर से लगभग 75 फीट की दूरी पर रहकर पूजन करते हैं।

स्थानीय लोगों का मानना है कि इस मंदिर में नागराज अपनी अद्भुत मणि के साथ रहते हैं। जिसे देखना आम लोगों के वश की बात नहीं है। पुजारी भी नागराज के महान रूप को देखकर डर न जाएं इसलिए वे अपने आंख पर पट्टी बांधते हैं।

यह भी मानना है कि मणि की तेज रौशनी इंसान को अंधा बना देती है। न तो पुजारी के मुंह की गंध तक देवता तक और न ही नागराज की विषैली गंध पुजारी के नाक तक पहुंचनी चाए। इसलिए वे नाक-मुंह पर पट्टी लगाते हैं।

चमोली जिले में देवाल ब्लॉक में वांण नामक स्थान पर मौजूद यह देवस्थल लाटू मंदिर नाम से जाना जाता है। मान्यताओं के अनुसान लाटू देवता नंदा देवी के धर्म भाई हैं। वांण गांव 12 साल बाद होने वाली उत्तराखंड की सबसे लंबी पैदल यात्रा श्रीनंदा देवी की राज जात यात्रा का बारहवां पड़ाव है।

इस मंदिर के कपाट साल में एक ही दिन वैशाख माह की पूर्णिमा को खुलते हैं और पुजारी आंख-मुंह पर पट्टी बांधकर कपाट खोलते हैं। श्रद्धालु और भक्त दिन भर दूर से ही लाटू देवता का दर्शन कर मनोकामना मांगते हैं। इस दिन यहां एक विशाल मेला लगता है।

 

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