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मुद्रा योजना में केवल 25 प्रतिशत बेरोजगारों को मिला फायदा


संदीप कुलश्रेष्ठ
                              केंद्र सरकार ने प्रधान मंत्री मुद्रा योजना को बेरोजगारी खत्म करने का सबसे बड़ा फायदा बताते हुए उसका व्यापक प्रचार प्रसार किया है। मोदी सरकार का ये दावा रहा है कि इस योजना के कारण लाखों - करोड़ों बेरोजगारों को रोजगार मिला है। लेकिन मुद्रा रिपोर्ट के अनुसार वास्तविकता इससे उलट है। वर्ष 2016-17 में केवल 25 प्रतिशत बेरोजगारों को हि लोन दिया गया । शेष 75 प्रतिशत लोन पुराने कारोबारियों को दिया गया। उल्लेखनीय यह भी है कि इससे पिछले साल लगभग 35 प्रतिशत नये कारोबारियों को ही मुद्रा योजना में लोन दिया गया था।
सरकार  के दावों पर उठे सवाल-
                               मुद्रा रिपोर्ट हमें यह बताती है कि वर्ष 2016-17 में 3 करोड़ 97 लाख 1 हजार 47 कुल कारोबारियों को लोन दिया गया। इनमें से केवल 99 लाख 89 हजार 470 नये कारोबारियों को लोन दिया गया है। अर्थात करीब 75 प्रतिशत पुराने स्थापित कारोबारियों को ही लोन दे दिया गया। इस प्रकार सरकार का यह दावा कि उनके द्वारा चलाई गई क्रांतिकारी मुद्रा योजना का लाभ लाखो करोड़ों बेरोजगारों को मिला, सच साबित नहीं होता है। आंकड़े सरकार के दावे पर ही सवाल उठा रहे हैं।  
लगातार नये कारोबारी घटे- 
                               दिलचस्प बात यह है कि 2015-16 के मुकाबले  2016 -17 में मुद्रा लोन लेने वालों की संख्या में बढ़ोतरी हुई, लेकिन नये कारोबारियों की संख्या में कमी आ गई । उदाहरण के लिए  2015 -16 में कुल 3 करोड़ 44 लाख कारोबारियों ने लोन लिया। उनकी संख्या  2016 -17 में बढ़कर 3 करोड़ 97 लाख हो गई । 2015 -16 में 1 करोड़ 24 लाख 74 हजार 668 लोगों ने मुद्रा स्कीम के अंतर्गत लोन लेकर कारोबार शुरू किया, जबकि 2016-17 में यह संख्या घट कर 99 लाख 89 हजार रह गई।
तरूण कारोबारियों की संख्या मात्र 2 प्रतिशत-
                            प्रधान मंत्री मुद्रा स्कीम को केंद्र सरकार ने 3 श्रेणियों में बांटा है। 50 हजार रूपये तक के लोन को शिशु, 50 हजार से अधिक लेकिन 5 लाख से कम राशि के लोन लेने वालों को किशोर तथा 5 से 10 लाख रूपये तक के लोन को तरूण कहा जाता है। मजेदार बात यह है कि 99 लाख नये कारोबारियों में से केवल 2 प्रतिशत यानी 2 लाख 92 हजार 974 नये कारोबारियों को ही तरूण श्रेणी में लोन दिया गया। जबकि 81 लाख 10 हजार नये कारोबारियों को शिशु श्रेणी का लोन मिला। 
बैंक वाले कर रहे हैं यह सब गौरखधंधा-
                       प्रधान मंत्री मुद्रा योजना के तहत बैंक लोन तो दे रहे हैं। लेकिन बैंक अधिकारी उस कारोबारी को ही लोन दे रहे हैं, जिनका खाता उनकी बैंको में है और जिनका पुराना रिकार्ड अच्छा है। इंटिग्रटेड एसोसिएषंस ऑफ माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (आईएमएसएमई ऑफ इंडिया के चेयरमैन श्री राजीव चावला का यह साफ कहना है कि बैंक नये लोगों को लोन देने से कतराते हैं। 
केंद्र सरकार करें सू़क्ष्म समीक्षा-
                          मोदी सरकार द्वारा बेराजगारों को रोजगार देने के लिए आंरभ की गई इस प्रधान मंत्री मुद्रा योजना का पलीता बैंक वाले ही लगा रहे हैं। इसलिए केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय और मुद्रा योजना से जुड़े आला अफसरों को चाहिए कि वे अभी तक दिए गए सभी ऋण की सूक्ष्म और विस्तृत समीक्षा करें। बैंको द्वारा दिए जा रहे लोन पर भी सजग निगाह रखें। उनका प्रमुख दायित्व यह है कि केंद्र सरकार की इस महत्वपूर्ण योजना का लाभ मुख्य रूप से देश के बेरोजगारों को मिलें, ताकि वे अपने पेरों पर खड़े हो सकें। देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को चाहिए कि वह इस महत्वपूर्ण योजना की कमियों को दूर करे, ताकि अधिक से अधिक बेरोजगार इस योजना का लाभ उठा सकें। 
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