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विश्व में प्रेस की स्वतंत्रता : भारत की बहुत खराब 138 रैकिंग


 संदीप कुलश्रेष्ठ

                     हाल ही में 180 देशों के लिए प्रेस फ्रीडम इंडेक्स जारी किया गया है। इस इंडेक्स में भारत की रैकिंग 138 है। मीडिया को मिलने वाली स्वतंत्रता के मामले में भारत की स्थिति गत चार साल के सबसे खराब स्तर पर पहुच गई है। इससे पहले भारत की इतनी बुरी रैकिंग सन 2013-14 में थी। तब भारत 140 नंबर पर था। सन 2017 में भारत 137 वें पायदान पर पहुच गया था। पाकिस्तान इस रैकिंग में एक पायदान नीचे 139 नंबर पर है। सन 2017 में भी पाकिस्तान इसी पायदान पर था।

लगातार दूसरे साल नॉर्वे पहले पायदान पर-

                              इंडेक्स में नॉर्वे लगातार दूसरे नंबर पर बरकरार है। इससे पहले 2007 से 2012 तक नॉर्वे लगातार टॅाप पर रहा था। अब तक जारी हुई कुल 16 रैकिंग में से 11 बार नॉर्वे ही नंबर 1 पर रहा है। पहले 5 स्थानों पर रहने वाले देशों के नाम क्रमशः इस प्रकार है- 1. नॉर्वे 2. स्वीडन 3. नीदरलैंड 4. फिनलैंड 5. स्विट्जरलैंड।

अमेरिका 45 वें स्थान पर -

                               इंडेक्स में अमेरिका 45 वें स्थान पर है। ब्रिटेन 40 वें स्थान पर है। पाँच प्रमुख देशों की रैकिंग इस प्रकार है- 40. ब्रिटेन 45. अमेरिका 138. भारत 139. पाकिस्तान 176. चीन। ये रैकिंग फ्रांस के एक एनजीओं ‘रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स’ (आरडब्ल्यूबी) ने जारी की है। आरडब्ल्यूबी पिछले 16 साल से अर्थात 2002 से ये प्रेस फ्रीडम इंडेक्स जारी कर रहा है।

आरडब्ल्यूबी की रिपोर्ट में भारत और विश्व के देशों के बारे में लिखा-

                               आरडब्ल्यूबी ने भारत में मीडिया की आजादी के संबंध में बहुत खराब टिप्पणी की है। रिपोर्ट में लिखा कि ‘‘भारत में पिछले कुछ समय में नेशनल डिबेट को राष्ट्र विरोध की बातों की और मोड़ने का चलन बढ़ा है। मोदी का यह राष्ट्रवाद खतरा बनता जा रहा हैै।’’ आरडब्ल्यूबी की इस रिपोर्ट में गौरी लंकेश की हत्या और मार्च 2018 में तीन पत्रकारों की हत्या का भी उल्लेख किया गया है। इस रिपोर्ट में विश्व के प्रमुख देशों के बारे में यह भी लिखा गया है कि ‘‘दुनिया में मीडिया की कमजोर होती  स्थिति के लिए तीन सुपर पॉवर जिम्मेदार है। वे हैं अमेरिका, रूस और चीन। अमेरिका चुनाव में रूसी दखल और चीन में मीडिया पर लगी पाबंदियों को इसके लिये जिम्मेदार ठहराया गया है। चीन मीडिया कंट्रोल मॉडल पर चल रहा है। सबसे ज्यादा चिंता वाली बात यह है कि दुनिया के बड़े - बड़े देशों में जो नेता जनता के बीच में से चुन कर आ रहे हैं। वो भी मीडिया को पनपने नहीं देना चाहते।’’

देश में मीडिया की आजादी में सुधार की जरूरत-

                                 विश्व के 180 देशों में भारत की स्थिति शर्मनाक है। हमारे देश में मीडिया की आजादी की दिशा में विभिन्न राजनैतिक दलों को एक मंच पर आने की जरूरत है। उन्हें अपनी राजनैतिक प्रतिस्पर्धा को छोड़कर देश को सामने रखकर फैसला लेना है। इसकी पहल प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी को करनी चाहिए। यदि शीर्ष स्तर पर इस दिशा में कारगर प्रयास किया जाएं तो भारत में मीडिया की स्वतंत्रता की वर्तमान स्थिति में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है।

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