top header advertisement
Home - अंतरराष्ट्रीय << ओबीओआर परियोजना के लिए चीन नहीं पा सका भारत का समर्थन

ओबीओआर परियोजना के लिए चीन नहीं पा सका भारत का समर्थन


वन बेल्ट वन रोड इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट पर भारत का समर्थन हासिल करने की चीन की कोशिशें नाकाम हो गई हैं। शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक में सुषमा स्वराज ने साफ कर दिया कि भारत इस प्रोजेक्ट का हिस्सा नहीं बनेगा। भारत का यह रुख इसलिए भी अहम है, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसी सप्ताह चीन के दौरे पर जाने वाले हैं। 

वन बेल्ट वन रोड चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की महत्वाकांक्षी योजना है। वह एशिया और उससे आगे के देशों को एक बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट की मदद से जोड़ना चाहते हैं। दरअसल, इस पहल के जरिये चीन अपने पुराने सिल्क रोड नेटवर्क को फिर से खड़ा करना चाहता है। प्रोजेक्ट के एक महत्वपूर्ण हिस्से के लिए भारत की सहमति जरूरी है। लेकिन भारत ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। दरअसल, इस प्रोजेक्ट के तहत चीन और पाकिस्तान के बीच 57 अरब डॉलर की लागत से आर्थिक गलियारा बनाया जा रहा है। चीन से पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह तक जाने वाला यह गलियारा पाक के अवैध कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरता है। यह हिस्सा भारत का है।

मोदी-जिनपिंग मुलाकात में उठ सकता है मुद्दा
वन बेल्ट वन रोड प्रोजेक्ट पर भारत का रुख साफ होने के बावजूद यह मुद्दा पीएम मोदी और राष्ट्रपति जिनपिंग की इस सप्ताह होने वाली अनौपचारिक शिखर बैठक में उठ सकता है। चीनी विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर जारी बयान में उपविदेश मंत्री कोंग शियानयू ने कहा कि अनौपचारिक वार्ता का मतलब है, दोनों नेता मित्रतापूर्ण माहौल में सहयोग बढ़ाने के लिए विचारों का आदान-प्रदान कर सकते हैं। यह न सिर्फ दोनों देशों और लोगों बल्कि इस क्षेत्र एवं विश्व के शांतिपूर्ण विकास के लिए भी अहम है।

एससीओ की बैठक में भी चीन ने की भरपूर कोशिश
एससीओ के विदेश मंत्रियों की बैठक में चीन ने भारत को मनाने की पुरजोर कोशिश की। लेकिन उसके सभी प्रयास नाकाम रहे। बाद में जारी एक बयान में कहा गया कि कजाखस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान ने चीन के बेल्ट एंड रोड प्रस्ताव के प्रति अपना समर्थन दोहराया है। हालांकि बयान में भारत के इनकार को लेकर ज्यादा जानकारी नहीं दी गई। भारत और पाकिस्तान पिछले साल ही एससीओ में शामिल हुए हैं।

दोकलम विवाद के बाद हो रहा है मोदी का दौरा
2017 में दोनों देशों के रिश्ते काफी तनावपूर्ण रहे। दोकलम में भारत और चीन की सेनाएं 73 दिन तक आमने सामने रहीं। दरअसल, चीन और अमेरिका के बीच छिड़े कारोबार युद्ध का असर भी बीजिंग की विदेश नीति पर दिखने लगा है। पाक के करीबी मित्र चीन का सुर भारत को लेकर नरम हुआ है। यही वजह है कि पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के बिना ही मोदी दो दिन के चीन दौरे पर जा रहे हैं। 

Leave a reply