top header advertisement
Home - आपका ब्लॉग << इंदौर में पीने के पानी के लिए 17 जगह जांच, उज्जैन में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं !

इंदौर में पीने के पानी के लिए 17 जगह जांच, उज्जैन में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं !


संदीप कुलश्रेष्ठ 

इंदौर में पीने का पानी नर्मदा का प्रदाय किया जा रहा है। इंदौर के लोगों को शुद्ध पेयजल मिल सके इसके लिए व्यापक व्यवस्थाएँ की जा रही है। वर्तमान में 12 जगह नर्मदा नदी के पानी के सैम्पल लेकर जांच की जाने की व्यवस्था थी । अब इसमें पाँच नए स्थान जोड़े गए है। इससे यह पता चलेगा कि इंदौर के नागरिकों को प्रदाय किया जाने वाला जल अशुद्ध तो नहीं है। इंदौर में जहाँ इतनी सावधानियाँ रखी जा रही है, वहीं उज्जैन में इस और बिल्कुल ध्यान नहीं दिया जा रहा है। उज्जैन में गंभीर डेम से पानी प्रदाय करने के साथ-साथ शिप्रा नदी से भी पेयजल प्रदाय किया जा रहा है । और हालात यह है कि शिप्रा नदी में अनेक जगह गंदे नालों का पानी मिलता हुआ सहज ही देखा जा सकता है। वहीं इंदौर की खान नदी का भी पानी त्रिवेणी पर शिप्रा में मिलता हुआ हर कोई देख सकता है।
पाँच नए स्थान शामिल किए -
                     इंदौर के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इंदौर को सप्लाई किए जाने वाले पीने के पानी की जांच का दायरा और बढ़ा दिया है। इंदौर क्षेत्र में फिलहाल 12 जगहों से पानी के सैम्पल लिए जाने की व्यवस्था थी। अब इनमें पाँच नए स्थान और शामिल कर लिए गए है। इन नए स्थानों में हनुवंतिया, ओंकारेश्वर डेम अपस्ट्रीम , धारेश्वर मंदिर (बंजारी के पास बड़वाह), सहस्त्रधारा (महेश्वर) और माँ रेवा आश्रम सेमल्दा जिला धार में भी पानी की जांच होगी। नर्मदा के पानी मे शुद्धता जांच का स्तर ए कैटेगरी का है। मौजूदा व्यवस्था में सभी जगहों पर डोमेस्टिक वेस्ट और नाले के पानी मिलने के बाद की स्थिति में पानी के नमूने लिए जाते है। बोर्ड डोमेस्टिक वेस्ट मिलने से पहले की स्थिति में भी पानी में शुद्धता का स्तर जांचेगा। इससे अशुद्धी का पता लग जाएगा।
शिप्रा में खुले आम मिल रहा खान नदी और नालों का पानी -
                     उज्जैन में कांग्रेस दल के श्री चेतन चौहान ने शिप्रा किनारे का हाल ही में भ्रमण किया है। उन्होंने भ्रमण के आधार पर दस्तावेज के साथ आरोप लगाया है कि शिप्रा नदी को शुद्ध करने के लिए 100 करेड़ रूपये की खान डायवर्सन योजना बनाई गई थी। इसके बावजूद खान नदी का पानी शिप्रा नदी में मिलते हुए सार्वजनिक रूप से देखा जा सकता है। इसके साथ ही शिप्रा नदी में अनेक जगह पर नालों का गंदा पानी मिलता हुआ भी सहज ही देखा जा सकता है। उज्जैन नगर निगम उसी शिप्रा नदी का पानी पेयजल हेतु प्रदाय कर रही है। शिप्रा के पानी की जांच के लिए न तो नगर निगम ने कोई व्यवस्था की है न ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इस दिशा में कोई कार्य कर रहा है।
नर्मदा शिप्रा लिंक योजना का लाभ नहीं मिला उज्जैन को -
                       करोड़ो रूपये की लागत से बनाई गई नर्मदा शिप्रा लिंक योजना से उज्जैन को और उज्जैन के आसपास के शहरों और गांवों को पेयजल मुहैया कराने की घोषणा की गई थी। किंतु उज्जैन को इस योजना का पूरा लाभ नहीं मिल रहा है। जब जरूरत हो तब निवेदन करने पर नर्मदा का पानी शिप्रा में छोड़ा जाता है । नर्मदा का शुद्ध पानी भी शिप्रा में मिलकर गंदा हो रहा है। क्योंकि शिप्रा पहले से ही मैली है। नर्मदा शिप्रा लिंक योजना में यह भी घोषणा की गई थी कि इससे औद्योगिक क्षेत्रों को पानी भी मिल सकेगा। किंतु आज तक किसी औद्योगिक क्षेत्र को यह पानी मिलना नसीब नहीं हुआ है।
जागे, उज्जैन का प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड -
                       जिस प्रकार इंदौर के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सराहनीय पहल कर इंदौर को प्रदाय किए जाने वाले पीने के पानी की जांच की व्यापक व्यवस्थाएँ की है । उसी प्रकार उज्जैन का सोया हुआ प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी जागे। उसे भी इंदौर की तरह  शिप्रा नदी के विभिन्न स्थानों से पीने के पानी की जांच करनी चाहिए। और उस रिर्पोट को सार्वजनिक भी करना चाहिए। इससे नगर निगम भी जागेगा और वह उज्जैन को प्रदाय किए जाने वाल पेयजल की शुद्धता के प्रति सजग होगा।
----------000----------                    

 

Leave a reply