top header advertisement
Home - उज्जैन << महापौर से मांगा टंकियों का हिसाब

महापौर से मांगा टंकियों का हिसाब



कांग्रेस पार्षद दल ने सिंहस्थ महापर्व में पानी की टंकी, स्टैंड खरीदी में हुए करोड़ों के घोटाले के विरोध में किया निगम का घेराव
उज्जैन। सिंहस्थ महापर्व 2016 के दौरान लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग नगर पालिक निगम एवं सिहंस्थ डिवीजन द्वारा क्रय कर लगाई गई पी.व्ही.सी. टंकियों एवं उनके स्टैंड में हुए गड़बड़ी, भ्रष्टाचार के मामले में जांच की मांग तथा दोषियों पर कार्रवाई के लिए कांग्रेस पार्षद दल ने शुक्रवार को नगर निगम का घेराव किया। महापौर को ज्ञापन सौंपकर उनसे जवाब में टंकियों का हिसाब मांगा। 
नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र वशिष्ठ के नेतृत्व में हुए इस घेराव प्रदर्शन में कांग्रेसी पार्षद टंकियों की तस्वीर जिनपर ‘महापौरजी जवाब दो, टंकियों का हिसाब दो’ अंकित था, हाथों में लेकर पूरे निगम परिसर में नारेबाजी करते हुए घूमे। प्रदर्शन उपरांत नगर निगम गेट पर धरने पर बैठ गए तथा यहां भी सिंहस्थ महापर्व में हुए टंकियों के घोटाले को लेकर नारेबाजी की। राजेन्द्र वशिष्ठ के अनुसार कांग्रेस पार्षद दल ने 6 अक्टूबर को पीएचई गउघाट स्टोर पर अचानक निरीक्षण किया जिसमें लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग नगर पालिक निगम एवं लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग सिंहस्थ डिवीजन उज्जैन द्वारा सिंहस्थ मेला क्षेत्र में पेयजल आपूर्ति के लिए करोड़ों की पीव्हीसी टंकियां एवं उनके स्टैंड खरीदी में बड़ी राशि के गबन और हेराफेरी सामने आई। यहां स्टॉक रजिस्टर में सिर्फ 2 हजार लीटर की 100 टंकियों एवं उनके 100 स्टैंड की इंट्री पाई गई थी जबकि सिंहस्थ मेले के दौरान 135 टंकियों और उनके स्टैंड पीएचई के सिंहस्थ डिवीजन से शहर में लगाने के नाम पर उधार लिये गये थे। जिनको न तो आज तक वापस किया गया और न ही उसका इन्डेंट दिया गया। उक्त टंकियों और उनके स्टैंड का रिकार्ड भी स्टोर में नहीं पाया गया। सिंहस्थ में बाहर से ड्यूटी करने आने वाले अधिकारियों, कर्मचारियों के लिए बनाए अस्थाई आवासों, प्याउ के नाम पर भी टंकियां एवं स्टैंड करोड़ों रूपये के खरीदे थे जिनका भुगतान सिंहस्थ के अन्य शेष रहे मदों से भी कराया था। राजेन्द्र वशिष्ठ के साथ माया राजेश त्रिवेदी, आत्माराम मालवीय, रहीम लाला, विजयसिंह दरबार, जफर एहमद, प्रमिला मीणा, सपना सांखला, हेमलता कुवाल, रेखा गेहलोत, गुलनाज खान, मीना जितेन्द्र तिलकर ने महापौर को ज्ञापन सौंपकर टंकी एवं स्टैंड की खरीदी में हुए भ्रष्टाचार की जांच करने तथा दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की साथ ही कहा कि सभी सप्लाय ऑर्डर की जांच कराई जाए तो स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। 
सिंहस्थ की सफलता के नाम पर किया जमकर भ्रष्टाचार
सिंहस्थ के सफलतापूर्वक आयोजन के लिए शासन द्वारा जारी सर्कुलर (एफ 10-20) का फायदा उठाते हुए जमकर भ्रष्टाचार किया। इस सर्कुलर के अनुसार निविदाओं की स्वीकृति दर पर बिना निविदाए बुलाए सीधे-सीधे कार्य कराया जा सकता था या सामग्री क्री की जा सकती थी। जिसके आधार पर कई आदेश जारी कर 400 नग टंकियों और आवश्यकता से अधिक 500 नग स्टैंड का अलग-अलग फर्मों से क्रय किये गये हैं। इस प्रकार 635 टंकियों और 735 स्टैंड का उपयोग किया गया। अन्य क्षमता की टंकियों एवं स्टैंड का क्रय भी किया गया एवं 1 हजार लीटर की 1 हजार टंकियां खरीदी गई। 
टंकियां कहां लगी, सिंहस्थ के बाद कहां गई कुछ नहीं पता
इन टंकियों और स्टैंडों को शहर और मेला क्षेत्र में रखने, स्थापित करने, उन पर नल लगाने, पाईप फिटिंग करने के नाम पर ट्रालियों, लेबर आदि पर अलग-अलग फर्मों के लाखों रूपये भुगतान कराये गये। बड़ी बात यह है कि अधिकारियों ने इतने बड़े स्तर पर टंकियां और स्टैंड खरीदे लेकिन कहीं भी यह उल्लेख नहीं है कि यह लगाई कहां और सिंहस्थ के बाद गई कहा। जब यह मामला सिंहस्थ डिविजन को इंडेंट नहीं देने के कारण अचानक उछला तो विभाग के अधिकारी और पार्षद भी भौचक्के रह गए कि इतना बड़ा गबर उनके नाम के नीचे कैसे हो गया। 
न टंकी आई, न स्टैंड, रिकॉर्ड भी दर्ज नहीं
राजेन्द्र वशिष्ठ के अनुसार सिंहस्थ मेला क्षेत्र के समस्त पेयजल संबंधी कार्य पीएचई के सिंहस्थ डिवीजन ने कराए जिनमें उन्होंने 3 हजार से अधिक टंकियां लगाई थी। जबकि पीएचई नगर निगम को शहरी क्षेत्र में ही पेयजल व्यवस्था करनी थी तो फिर क्या कारण थे कि मेला क्षेत्र में टंकी लगाने के नाम पर लाखों रूपये मंजूर कराये गये। क्या मेले के लिए बनाया गया पीएचई का सिंहस्थ डिवीजन कार्य नहीं कर पा रहा था या अपने कार्यों में फेल हो गया था। यह टंकियां और स्टैंड आज भी स्टोर रिकॉर्ड में दर्ज नहीं है क्योंकि किसी प्रकार की टंकियां और स्टैंड आये ही नहीं थे। अधिकारियों ने गुपचुप अपनी घरेलू फर्मों को आदेश जारी किये। इन आदेशों में किसी भी प्रकार के मेक, स्पेशिफिकेशन, एंगलो की साईज आदि का उल्लेख नहीं किया गया है कई जगह पर तो टंकियां खरीदने के लिए गोलमोल भाषा का उल्लेख किया गया है जिससे अन्य लोग समझ नहीं सकें की क्या खरीदना है। इन खरीदी में किसी भी शर्त का पालन नहीं किया गया केवल फर्जी बिल तैयार कर भुगतान करा लिया गया जिसे ऑडिट ने भी नहीं पकड़ा। 

Leave a reply