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गोकुल महोत्सव से बकरी मृत्यु दर में आई कमी



उज्जैन । प्रदेश में गत वर्ष से आरंभ गोकुल महोत्सव के कारण बकरी की मृत्यु दर में काफी कमी आई है। बकरियों में बीमारियाँ न होने के कारण उत्पादकता में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
गत 28 अक्टूबर गोपाअष्टमी से आरंभ गोकुल महोत्सव का प्रथम चरण में 28 नवंबर को समाप्त होगा। इसमें 21 नवंबर तक प्रदेश के गाँवों में 34 हजार 846 पशु चिकित्सा शिविर लगाये जा चुके है। शिविरों में 16 लाख 11 हजार 816 पशुपालक, 1 करोड़ 10 हजार 335 पशुओं का पंजीकरण किया जा चुका है। महोत्सव के दौरान 11 लाख 63 हजार 129 पशु उपचार कार्य, 84 लाख 96 हजार टीकाकरण, 1 लाख 56 हजार 438 बधियाकरण, 22 हजार 355 कृत्रिम गर्भाधान, 1 लाख 74 हजार 557 बाँझपन उपचार, 1 लाख 22 हजार 109 गर्भ परीक्षण, 4 हजार 592 पशुबीमा, 14 हजार 812 शल्य चिकित्सा और 26 लाख 14 हजार 679 औषधि वितरण कार्य किये गये हैं। पशुपालकों को पोस्टर, ब्रोशर वितरण और लघु फिल्मों के माध्यम से विभागीय योजनाओं की जानकारी देते हुये लाभ उठाने के लिये प्रेरित किया जा रहा है।
प्रदेश में लगभग 51 हजार आबाद ग्राम है। इन सभी गाँव में पशु चिकित्सा शिविरों के आयोजन के लिये विभाग के सभी वर्ग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के 1200 पशु दलों का गठन किया गया है। दल दवाईयाँ उपकरण एवं प्रचार-प्रसार सामग्री के साथ गाँव-गाँव जाकर शिविर लगा रहे है। दल इस दौरान घर-घर जाकर पशुओं की समस्याओं का निदान भी कर रहे है। सभी छोटे-बड़े पशुओं का समय पर टीकाकरण, डी-वार्मिंग और बाँझपन निवारण से उत्पादकता में वृद्धि होने से गोकुल महोत्सव की सफलता सिद्ध हुई है।

 

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