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’मेड इन इंडिया’ की बजाय ’मेड इन भारत’ क्यों नहीं ?


डॉ. चंदर सोनाने

                   उज्जैन में एक सप्ताह तक चलने वाला अखिल भारतीय कालिदास समारोह शुरू हो गया हैं। समारोह में 31वां राष्ट्रीय कालिदास सम्मान देश के ख्यात रंगकर्मी श्री रामगोपाल बजाज को प्रदेश के राज्यपाल श्री ओमप्रकाश कोहली ने प्रदान किया।  कालिदास सम्मान के तहत श्री बजाज को प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिह्न के साथ ही दो लाख रूपये का चेक भी पुरस्कार स्वरूप प्रदान किया गया । सुप्रसिद्ध रंगकर्मी श्री बजाज ने सुनो जन्मेजय , हयवदन, बेगम का तकिया, घासीराम कोतवाल, अंधायुग, तुगलक, किंग लियर जैसे सुप्रसिद्ध नाटकों का निर्देशन कर देशभर में ख्याति अर्जित की है।
                    समारोह में तो पुरष्कृत रंगकर्मी श्री बजाज को बोलने का मौका ही नहीं दिया गया किंतु समारोह के बाद उन्होंने कुछ पत्रकारों से अनौपचारिक चर्चा की। चर्चा में अन्य बातों के अलावा एक बात उन्होंने यह भी कही कि मुझे नहीं पता कि ’मेड इन इंडिया’ का नाम किसने दिया और क्यों दिया ? लेकिन यह गलत है। ’मेड इन भारत’ क्यों नहीं ? इससे तो आपका वजूद ही खतरे में पड़ गया है। यह बहुत बड़ी साजिश है। सुप्रसिद्ध रंगकर्मी श्री रामगोपाल बजाज ने यह भी कहा कि रंगकर्म के लिए यह सबसे अधिक खराब दौर चल रहा है। उसके अंग भंग हो गए है। सब हमसे ही उम्मीद करने लगे हैं। समाज में जो हो रहा है, हम वहीं तो दिखा रहे हैं, और शायद दिखाएंगे भी ।
                    रंगकर्मी श्री बजाज के दुख पर गौर करें। क्या यह हम सबका दुख दर्द नहीं है। केन्द्र सरकार की हर योजना में भारत की बजाय इंडिया शब्द आ रहा है। मेक इन इंडिया, मेड इन इंडिया चल रहा है । भारत कहाँ चला गया, किसी को पता नहीं। आश्चर्य की बात तो यह है कि इस समय राष्ट्रवादी पार्टी भाजपा के श्री नरेंन्द्र मोदी प्रधानमंत्री के पद पर है। सहज ही उनसे यह उम्मीद की जा सकती है कि वे हिन्दी का प्रचार प्रसार करेंगे। किन्तु हो उल्टा रहा है। हर योजना का नाम अंग्रेजी में आ रहा है। केन्द्र की कोई सी भी योजना उठा़ कर देख लीजिए , सबके नाम अंग्रेजी में है। उदाहरण के लिए ’डिजिटल इंडिया’, ’कैशलैस इंडिया’ और तो और स्वच्छता अभियान के तहत खुले मे शौच से मुक्त होने वाले गाँव या शहर ’ओडीएफ’  ! हो क्या रहा है देश में ?
                   यही हाल मध्यप्रदेश का भी है। हिन्दी भाषी राज्य के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान हिन्दी की पैरवी करते समय-समय पर दिखाई देते है। किंतु उनकी अधिकतर योजना अंग्रेजी में हैं। आश्चर्य तो यह है कि किसानों से जुड़ी योजनाएँ भी अंग्रेजी में ही हैं। उदाहरण के लिए किसानों की खेती की गुणवत्ता जाँचने के लिए मिट्टी परीक्षण योजना शुरू की गई है। इस योजना का नाम ’स्वाईल हेल्थ काड’र् दिया गया है। इसी प्रकार हाल ही में ’भावांतर योजना’ में किसानों को समझाया जा रहा है कि दो राज्यों के मॉडल रेट लिए जाएंगे और उसके अंतर की राशि का भुगतान किया जाएगा। अब यह ’मॉडल रेट’ क्या है ? यह किसानों की समझ में नहीं आ रहा है। इसकी बजाय आदर्श मूल्य या आदर्श कीमत भी कहा जा सकता था ! इसी प्रकार इसी भावांतर योजना में ली गई 8 फसलों के ’एमएसपी रेट’ निर्धारित किए गए है। ये एमएसपी रेट क्या है ? ये किसानों की समझ से परे है। यहाँ सीधा अच्छी गुणवत्ता वाली फसल की  कीमत भी कहा जा सकता था। किंतु ऐसा हो नहीं रहा है।
                       यह सबको पता है कि भारत और मध्यप्रदेश गाँवों का देश एवं प्रदेश हैं। यहाँ अभी भी 70 प्रतिशत आबादी गाँवों में रहती है। गाँवों में अभी भी 35 प्रतिशत से अधिक आबादी निरक्षर है। जो साक्षर हैं , उनमें भी अनेक ऐसे है जो अच्छी तरह पढ़ लिख नहीं पाते हैं। ऐसी स्थिति में अंग्रेजी की योजना और नाम क्या दर्शाता हैं ? दिल्ली में बैठे नौकरशाह और प्रदेश के मंत्रालयों में बैठे नौकरशाह की सोच ही अंग्रेजी की है। वो सोचते भी अंग्रेजी में है और काम भी अंग्रेजी में ही करते है और उनके द्वारा योजना भी अंग्रेजी में ही बनाई जाती है। इसी कारण योजना का क्रियान्वयन करते समय दिक्कत आती है।
                     यहाँ मध्यप्रदेश की भावांतर योजना का उल्लेख करना मौजूं होगा । किसानों को उसकी फसल का वाजिब मूल्य मिले , इसके लिए मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री ने भावांतर भुगतान योजना शुरू की है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान खेती को लाभ का धंधा बनाना चाहते हैं । संभवतः वह देश के पहले मुख्यमंत्री हैं , जिन्होंने खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए सबसे पहले पहल आरंभ की थी। उन्होंने ही सबसे पहले किसानों की आय दोगुनी करने की मुहिम भी छेड़ी है। किसानों के लिए ही उन्होंने भावांतर भुगतान योजना शुरू की है । लेकिन यह योजना इतनी कठिन बनाई गई है कि यह योजना किसानों को ही समझ में नहीं आ रही है। इसके कारण आये दिन किसानों और व्यापारियों के बीच अप्रिय स्थिति निर्मित हो रही है। प्रदेश के कुछ स्थानों से तो मारपीट की भी खबरें आ रहीं है। इस योजना से न किसान खुश है न व्यापारी । सरकार और व्यापारियों के बीच में किसान लूटा जा रहा है।  
                   कालिदास सम्मान से पुरस्कृत प्रसिद्ध रंगकर्मी श्री रामगोपाल बजाज का दर्द गत दिवस उज्जैन में छलक पड़ा। उनका यह सोचना है कि जो भी सोचें, करे उसमें इंडिया की बजाय भारत होना चाहिए। और यह दर्द हम सबका है। देखें, शायद प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी तक यह बात पहुँचे और वे कुछ करें।
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