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भावांतर भुगतान योजना : विसंगतियों को दूर करें सरकार


डॉ. चंदर सोनाने
                  मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा हाल ही में किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य दिलाने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण योजना आरंभ की गई है। भावांतर भुगतान योजना नाम की यह योजना खरीफ 2017 में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में प्रदेश भर में लागू की जा रही है। इसका पंजीयन 11 सितंबर से 11 अक्टूबर तक किया गया है। योजना का लाभ उन किसानों को मिलेगा जो 16 अक्टूबर से 15 दिसंबर तक कृषि उपज मंडियों में अपनी उपज बेचेंगे। वर्तमान में इस योजना के क्रियान्वयन में कुछ विसंगतियाँ सामने आ रही है। इसे तत्काल राज्य सरकार को दूर करना चाहिए, ताकि जिस उदेश्य के लिए यह योजना बनी है, उसका पूरा लाभ किसानों को मिल सके।
                  राज्य सरकार अब प्रदेश में समर्थन मूल्य पर गेंहू , धान , ज्वार और बाजरा को छोडकर किसी और फसल की खरीदी नहीं करेगी। इसकी जगह समर्थन मूल्य से कम मूल्य पर बिकने पर मॉडल रेट से अंतर की राशि का भुगतान किसान को सीधे उनके खातों में किया जाएगा। यह मॉडल रेट संबंधित फसल की दो राज्यों की औसत दर के हिसाब से तय होगा। इसका फायदा सिर्फ प्रदेश के मूल निवासी को मिलेगा। यह योजना लागू करने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है।
                   भावांतर भुगतान योजना प्रदेश की सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से बांटे जाने वाले खाद्यान्न को छोड़कर सभी फसलों पर लागू होगी। खरीफ फसल 2017 के लिए आठ फसलों को चुना गया है। इस योजना के तहत समर्थन मूल्य पर बिकने वाली फसल की कीमत यदि तय दर से कम होती है तो भावांतर योजना में तय मॉडल रेट के हिसाब से सरकार अंतर की राशि का भुगतान करेगी। पंजीकृत किसानों को ही सरकार अंतर की राशि देगी।
                   इस योजना के दायरे में आने वाली 8 फसलों के लिए विक्रय की अवधि तय रहेगी। सोयाबीन, मूंगफली, तिल , रामतिल, अरहर, मूंग, उड़द और मक्का के लिए 16 अक्टूबर से 15 दिसंबर तक विक्रय अवधि तय की गई है। किसानों को उनकी फसल का उचित दाम मिलें, इसके लिए उन्हें पंजीकृत गोदाम में अपनी फसल रखने के लिए राज्य सरकार 7 रूपये प्रति क्विंटल के हिसाब से अनुदान भी देगी। यह राशि तभी मिलेगी जब फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम पर निर्धारित अवधि के बाद बेची जाती है।
                  ज्वार और बाजरा की खरीदी अवधि 2 नवंबर 2017 से 30 नवंबर 2017 तक निर्धारित की गई है। धान की फसल की खरीदी अवधि 15 नवंबर 2017 से 15 जनवरी 2018 तक तय की गई है। विभिन्न फसलों के समर्थन मूल्य नियमानुसार निर्धारित किए गए है- धान सामान्य के लिए 1550 रूपये प्रति क्विंटल, धान ग्रेड ए के लिए 1590 प्रति क्विंटल , ज्वार हाई ब्रीड के लिए 1700 , ज्वार मालदंडी के लिए  1725 रूपये प्रति क्विंटल और बाजरा के लिए 1425 रूपये प्रति क्विंटल दर निर्धारित की गई है।
                  प्रदेश में भावांतर योजना के अंतर्गत कुल 23 लाख से अधिक किसानों ने पंजीयन करवाया है। इसमें सोयाबिन सहित आठ फसलों में न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम में फसल बिकने की सूरत मे भावांतर राशि का भुगतान किया जाएगा। इसके लिए सिर्फ मंडी में ही हुई खरीदी को मान्य किया जाएगा। इस योजना में पंजीयन करवाने वाले किसानों में सबसे ज्यादा 8 लाख 42 हजार किसान सोयाबीन के लिए है । इसके अतिरिक्त उड़द के लिए 4 लाख 35 हजार, मक्का के लिए 2 लाख 10 हजार , तुअर के लिए 71 हजार, मूंगफली के लिए 28 हजार , तिल के लिए 30 हजार, मूंग के लिए 12 हजार और रामतिल के लिए दो हजार किसानों ने ऑनलाइन पंजीयन करवाया है।       
                          राज्य सरकार का अनुमान है कि इस महत्वपूर्ण भावांतर योजना के अंतर्गत करीब 4 हजार करोड़ रूपये का भुगतान किसानों को किया जाएगा। वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा सोयाबीन के लिए 1536 करोड , उड़द के लिए 1794 करोड़, तुअर के लिए 325 करोड,़ मूंग के लिए 20 करोड़ , मक्का के लिए 387 करोड़ , तिल के लिए 40 करोड़ और राम तिल के लिए 1 करोड रूपये का भुगतान किसानों को करने का प्रावधान किया गया हैं ।
                          सरकार की भावांतर भुगतान योजना बहुत अच्छी है। इसकी सराहना की जानी चाहिए। किंतु, अब योजना के क्रियान्वयन के समय इस योजना की विसंगतियाँ सामने आ रही है। किसानों को फसल की अच्छी कीमत दिलाने के लिए ारू की गई यह भावांतर भुगतान योजना किसानों के लिए छलावा साबित हो रही है। व्यापारी किसानों से कई जगह बहुत कम कीमत पर फसल खरीद रहे हैं। ऐसा ही एक मामला राजगढ़ की खिलचीपुर मंडी में सामने आया है। वहाँ व्यापारियों ने किसानों से उड़द 1700 से 2200 रूपये प्रति क्विंटल खरीदी। जबकि सरकार ने इसका एमएसपी 5400 रूपये प्रति क्विंटल तय किया है। यहाँ यह विसंगतियाँ सामने आ रही है कि मंडियों में केवल अच्छी किस्म की फसल के लिए ही भावांतर योजना की दर तय की गई है। और इस अच्छी फसल के विक्रय पर ही किसानों को भावांतर योजना का लाभ मिलेगा। इसी का व्यापारी लाभ उठा रहे हैं । वे किसानों की फसल को खराब फसल बताकर मनमाने दर पर खरीद रहे हैं। इसी प्रकार उप मंडियों में खरीदी पर किसानों को भावांतर योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। इस कारण अनेक किसान इस योजना का लाभ लेने से वंचित हो रहे हैं।
                       इस योजना में 23 लाख किसानों ने निर्धारित अवधि में अपना पंजीयन करवाया है। उल्लेखनीय यह है कि प्रदेश में खरीफ की फसल लेने वाले किसान 54 लाख है। इस प्रकार लगभग 40 प्रतिशत किसानों ने ही पंजीयन करवाया है । करीब 60 प्रतिशत किसानों ने किसी कारण से अपना पंजीयन नहीं करवाया है। इस कारण वे इस योजना के लाभ से वंचित हो रहे हैं। राज्य सरकार को चाहिए कि जिन किसानों ने किसी भी कारण से निर्धारित अवधि में पंजीयन नहीं करवाया है, उन्हें भी इस योजना में शामिल करें , ताकि वे भी इस योजना का लाभ ले सकें। इसी प्रकार किसानों को दो महीने बाद राषि का भुगतान देने के लिए तय की गई अवधि भी बहुत ज्यादा है , इसे भी कम किए जाने की आवश्यकता है।
                       मुख्यमंत्री ने हाल ही में इस योजना में किसानों को अपनी उपज बेचते समय 50 हजार रूपये तक की राशि नगद देने के आदेश दिए हैं। शेष राशि उनके बैंक खाते में सीधे जमा कराने का प्रावधान किया है, किंतु व्यापारी 10 हजार रूपये से अधिक की नगद राषि नहीं दे रहे हैं। इस कारण प्रदेश में अलग अलग जगहों पर आए दिन किसान और व्यापारियों के बीच विवाद और मारपीट के भी प्रकरण सामने आ रहे हैं। इस विसंगति को भी तत्काल दूर करने की आवश्यकता है।
                       मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा किसानों की हित के लिए यह योजना आरंभ की गई है। कोई भी योजना पूर्ण नहीं होती है। योजना को बनाने के बाद उसके क्रियान्वयन करने में अनेक समस्याएँ आती है । इसलिए मुख्यमंत्री को चाहिए कि वे व्यवहार में किसानों को आ रही दिक्कतों को समझें और उसे तुरंत दूर करने का निर्णय लेते हुए संबंधितों को उचित आदेश दें , तभी योजना की सार्थकता सिद्ध होगी।
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