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500 रूपये में बेच रहे थे भारतीयों की डेबिट-क्रेडिट की डिटेल्स, पाकिस्तान से ऑपरेट करता है मास्टरमाइंड


मध्य प्रदेश पुलिस की साइबर सेल ने एक ऐसे इंटरनेशनल गैंग का भंडाफोड़ किया है, जो भारतीयों के डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड और फोन नंबर व ईमेल आईडी जैसी निजी जानकारी महज 500 रुपए में ऑनलाइन बेचते थे. मास्टरमाइंड लाहौर में बैठकर इस गैंग को ऑपरेट कर रहा था, जबकि पैसों का लेन-देन बिटक्वाइन के जरिए होता था.

दरअसल, एमपी पुलिस की इंदौर साइबर सेल ने एक बड़ा खुलासा किया है. साइबर सेल ने क्रेडिट कार्ड के जरिए विदेशों की ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट्स पर खरीददारी करने वाले गिरोह के दो सदस्यों को मुंबई से पकड़ा हैं. आरोपियों के महज एक कार्ड की डिटेल से पता चला है कि शातिर बदमाशों ने 15 से 20 लाख रुपए की खरीदी की हैं.

राज्य साइबर सेल के उज्जैन कार्यालय में बैंक ऑफ इंडिया के मैनेजर जयकिशन गुप्ता ने 27 अगस्त को शिकायत की थी कि उनके क्रेडिट कार्ड से 72 हजार रुपए का गलत तरीके से ट्रांजेक्शन हुआ है.

जांच में सामने आया कि कार्ड डिटेल से ऑनलाइन शॉपिंग और एयर टिकट खरीदे गए हैं. अपराध रजिस्टर्ड करने के बाद पुलिस ने ऑनलाइन ट्रांजेक्शन और बिलिंग के आधार पर आरोपियों को ट्रैक करना शुरू किया, जिसके बाद पुलिस की एक टीम ने दो आरोपियों रामप्रशाद नाडर और रामप्रशाद पिल्लई को धर दबोचा.

दोनों से हुई पूछताछ में हुए खुलासे के बाद एमपी पुलिस भी हैरान है. दोनों ने बताया कि कुछ विदेशी अवैध ऑनलाइन वेबसाइट है जहां पर क्रेडिट व डेबिट कार्ड का डाटा खरीदा-बेचा जाता है. दोनो बदमाश वहां से 8 से 12 डॉलर यानी करीब 500 रुपए में डिटेल खरीदते थे और ऐसी वेबसाइट्स पर शॉपिंग करते थे जिसमें ओटीपी की जरूरत नहीं होती हैं.

कौन-कौन है आरोपी
गिरोह की मुख्य कड़ी है रामप्रशाद नाडर जो मूल रुप से तमिलनाडु का रहने वाला है. वह बीकॉम और एमबीए करने के बाद मुंबई आ गया और एक साल तक एचडीएफसी बैंक में नौकरी की. यहीं पर उसको पता चला कि अगर किसी ग्राहक का डेबिट कार्ड व क्रेडिट कार्ड से विदेशों में रुपए निकल जाते हैं, बैंक उनका रुपया 14 दिनों बाद लौटा देता है. इसके बाद इसने पहला अपराध किया. पहले अपने दोस्त के खातें में रुपया जमा करवाया और फिर दोस्त का क्रेडिट कार्ड किसी तीसरे दोस्त को देकर बैंकाक भेज दिया. वहां से लौटने पर बैंक में जाकर दूसरे दोस्त के जरिए साबित कराया की वो विदेश गया ही नहीं. जिसके कारण बैंक ने 46 हजार रुपए वापस कर दिए.

-गिरोह का दूसरा सदस्य है रामप्रशान पिल्लई जो मूल रूप से तमिलनाडु का ही रहने वाला है. दोनो आरोपी कक्षा नौवीं से साथ में है. दोनों ने साथ मिलकर ही पूरी ठगी की वारदात को अंजाम दिया हैं. क्रेडिट कार्ड डिटेल चुराकर ठगी करन के पहले दोनों ने अपने अमेरिका में रहने वाले दोस्त अपूर्व से 45 हजार रुपए में आईफोन मंगवाते थे. इन मोबाइल्स को ई-बे नाम की वेबसाइट के जरिए 60 हजार रुपए में बेचते थे.

-गिरोह का तीसरा सदस्य है गौरव गुप्ता. जो मूल रूप से जबलपुर का रहने वाला है. आरोपी ने कई बार क्रेडिट कार्ड की डिटेल से विदेशों की टिकट खरीदी और घूमने गया था. इसकी अब तक गिरफ्तारी नहीं हो पाई है.

-वहीं गिरोह का मुख्य सरगना है पाकिस्तान के लाहौर का शेख अफजल. शेख अफजल ही गिरोह को पाकिस्तान से संचालित करता हैं. आरोपी रामप्रशाद नाडर ने एक वेबसाइट के फोरम में जाकर क्रेडिट कार्ड डिटेल खरीदने की जानकारी निकाली. इसी दौरान इसका संपर्क लाहौर के शेख अफजल से हुआ.

-पहले कुछ समय तक तो अफजल इसको सस्ते दामों पर विदेशों की एयर टिकट उपबल्ध करवाता रहा. बाद में शेख ने एक अकाउंट मुहैया करवाया, जहां पर हैकर्स द्वारा हैक किए गए सैकड़ों की संख्या में क्रेडिट व डेबिट कार्ड की डिटेल मौजूद थी. 8 से 12 डॉलर की राशि का पेमेंट करके कार्ड की डिटेल रामप्रशाद खरीदने लगा. 2014 से 2016 के बीच आरोपी कई बार बैंकाक, दुबई, हांगकांग और थाईलैंड घूमने गया था.

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