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राजनीति पड़ी विकास पर भारी ,उज्जैन को मिला 402 करोड़ रूपये का सीवरेज प्लान होगा निरस्त


संदीप कुलश्रेष्ठ
                        प्रदेश के नगरीय प्रशासन विभाग के आयुक्त श्री विवेक अग्रवाल ने कहा है कि उज्जैन का 402 करोड़ रूपये का सीवरेज प्लान निरस्त किया जाएगा। प्राप्त जानकारी के अनुसार उज्जैन के जनप्रतिनिधियों के विरोध के कारण उज्जैन को मिलने वाली एक बड़ी सुविधा से यह शहर वंचित रह जाएगा। एक दो दिन में इस संबंध में आदेश जारी हो जाने की संभावना है। इस प्रकार उज्जैन को मिली सौगात से यह शहर न केवल वंचित हो जाएगा , बल्कि विकास पर राजनीति भारी रहती है यह कथन भी सिद्ध हो जाएगा।
                           उज्जैन के जनप्रतिनिधियों के विरोध के कारण शहर को मिला 402 करेड़ रूपये का अंडरग्राउंड सीवरेज प्लान हाथ से जा सकता है। नगरीय प्रशासन विभाग के आयुक्त जो पूर्व में उज्जैन के कलेक्टर भी रह चुके हैं , का इस संबंध में कहना है कि जब जनप्रतिनिधि ही नहीं चाहते तो प्लान निरस्त कर दिया जाएगा। और यह राशि राज्य सरकार प्रदेश के अन्य शहर को जारी कर देगी।
अमृत मिशन के तहत मिली थी मंजूरी -
                           उल्लेखनीय है कि अमृत मिशन के तहत पाँच साल के लिए योजनाओं की मंजूरी उज्जैन को मिली थी। यदि यह प्रोजेक्ट निरस्त हो जाता है तो अब फिर अगले पाँच साल बाद ही उज्जैन को यह मौका मिलेगा। अर्थात विकास के मामले में यह शहर पाँच साल पीछे हो जाएगा। अमृत मिशन के तहत केंद्र सरकार द्वारा उज्जैन शहर के लिए सीवरेज प्लान मंजूर किया गया था। पहले चरण में 402 करोड़ रूपये से शहर के 75 प्रतिशत हिस्से में घरों के गंदे पानी की निकासी के लिए अंडर ग्राउंड पाईप लाईन डालने, गंदे पानी का ट्रीटमेंट कर उसे उद्योग और सिंचाई के लिए उपयोगी बनाने की व्यवस्था होनी थी।
शिप्रा में मिलने वाले गंदे नाले मिलते रहेंगे -
                        अमृत मिशन के तहत उज्जैन को मिली यह सौगात उज्जैन के लिए इस मायने में भी महत्वपूर्ण थी कि इसका सबसे बड़ा फायदा शहर को स्वच्छ बनाने के साथ ही शिप्रा में मिलने वाले गंदे नालों की रोकथाम के रूप में भी मिलना था । इस योजना के निरस्त होने की संभावना के कारण अब यह काम नहीं हो पाएगा। इस प्रकार पतीत पावन शिप्रा नदी में मिलने वाले गंदे नाले जैसे वर्शो से मिलते आ रहे हैं, वैसे ही मिलते रहेंगे और नदी को प्रदूषित करते रहेंगे। श्रद्धालुओं की भावनाओं के साथ इसी प्रकार खिलवाड़ होता रहेगा।
महत्वपूर्ण बैठक में इन जनप्रतिनिधियों ने किया विरोध -
                           उज्जैन नगर निगम द्वारा पूर्व में मिली स्वीकृति के बाद टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली गई थी। यह काम टाटा प्रोजेक्ट को दिया जाना था। कंपनी को नगर निगम द्वारा वर्क आर्डर जारी होना है। इसी बीच गत शनिवार को उज्जैन में नगरीय प्रशासन विभाग के ईएनसी श्री प्रभाकांत कटारे ने शहर के मंत्री श्री पारस जैन , सांसद डॉ. चिंतामणि मालवीय, विधायक डॉ. मोहन यादव, महापौर श्रीमती मीना जोनवाल, उज्जैन विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री जगदीश अग्रवाल तथा अन्य प्रमुख लोगों के साथ बैठक कर यह काम करने वाली कंपनी टाटा प्रोजेक्ट को वर्क आर्डर जारी करने के लिए विचार विमर्श किया था । जनप्रतिनिधियों ने कंपनी को वर्क आर्डर जारी करने से मना कर दिया। उनका यह तर्क था कि अगले साल सन 2018 में होने वाले चुनाव के पहले शहर में खुदाई होने से लोगों को परेशानी आएगी। इसका असर चुनाव के नतीजे पर पड़ने की संभावना है। काफी देर चले इस मंथन में जनप्रतिनिधि योजना को लागू करने के लिए सहमत ही नहीं हुए। कारण स्पष्ट था राजनीति हावी थी विकास पर ।
उज्जैन कलेक्टर रहे श्री विवेक अग्रवाल का बेबाक बयान -
                        इस सम्पूर्ण प्रकरण के संबंध में उज्जैन में कलेक्टर रह चुके तथा वर्तमान में प्रदेश के नगरीय प्रशासन विकास विभाग के आयुक्त श्री विवेक अग्रवाल ने बेबाक बात कही है। उनका कहना है कि यदि कोई तकनीकी समस्या होती तो उसका समाधान किया जा सकता था , लेकिन जब उज्जैन के जनप्रतिनिधि ही नहीं चाहते तो योजना को निरस्त करना ही एकमात्र रास्ता है। उनका स्पष्ट कहना है कि शिप्रा और तीर्थ नगरी की स्वच्छता के लिए ही राज्य शासन द्वारा यह योजना मंजूर की गई थी । प्रथम चरण में शहर के 75 प्रतिशत हिस्से और शिप्रा को शामिल किया गया है, ताकि पहली बार में ही अधिकतम काम हो सके। किंतु अब यह नहीं हो सकेगा।
अब एकमात्र उम्मीद मुख्यमंत्री से -
                          प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान का उज्जैन से विशेष प्रेम है । यह सबको ज्ञात है। उन्होंने गत वर्ष आस्था और विष्वास के परमतीर्थ सिंहस्थ के दौरान  लगभग उज्जैन में डेरा ही डाल दिया था। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए उन्होंने हर संभव प्रयास भी किए थे। शिप्रा के शुद्ध जल में श्रद्धालुओं को स्नान कराना उनकी मंशा भी है। अब उन्हीं से एकमात्र उम्मीद बची है। श्री विवेक अग्रवाल मुख्यमंत्री के सचिव के रूप में भी मुख्यमंत्री सचिवालय में पदस्थ हैं। उनसे यह अपेक्षा है कि वे उज्जैन की इस महत्वपूर्ण योजना के बारे में वास्तविक स्थिति से मुख्यमंत्री को अवगत करवाएँ, ताकि इसका उज्जैन के हित में कोई सकारात्मक निराकरण निकाला जा सके। और उज्जैन को मिली इस सौगात से उसे वंचित नहीं होना पडे।
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