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गोरखपुर में 70 बच्चों की मौत : डीएम जांच रिपोर्ट प्राप्त, अब तो दोषी के विरूद्ध सख्त कारवाही करें मुख्यमंत्री



डॉ. चंदर सोनाने
 
                 उत्तरप्रदेश के गोरखपुर में बीआरडी मेडिकल कॉलेज में पिछले एक सप्ताह के दौरान 70 बच्चों की मौत हो गई। इन बच्चों की मौत के लिए राज्य सरकार ने डीएम से जाँच करवाई थी। डीएम की जाँच रिपोर्ट हाल ही में आ गई है। जाँच में प्रमुख रूप से बीआरडी कॉलेज के तीन लोगों को दोषि ठहराया गया है। इन तीनों  के विरूद्ध तत्काल सख्त कारवाई कने की आवश्यकता है। 
                  राज्य सरकार द्वारा गोरखपुर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में हुई बच्चों की मौत की स्थानीय डीएम से जाँच करवाई थी। हाल ही में प्राप्त इस जाँच रिपोर्ट में बीआरडी कॉलेज के प्रिसिपल आरके मिश्रा को मुख्य आरोपी ठहराया गया है। जाँच रिपोर्ट में कहा गया हैं कि अस्पताल में ऑक्सीजन की सप्लाई बाधित होने के पीछे सबसे ज्यादा लापरवाही कॉलेज के पिंसिपल आरके मिश्रा की ओर से हुई है। रिपेर्ट में यह भी दावा किया गया है कि इस गडबडी के चलते अस्पताल में ऑक्सीजन की सप्लाई बंद की गई। जाँच रिपोर्ट  में इस और भी ध्यान दिलाया गया है कि अस्पताल में ऑक्सीजन की खरीद में कमीषनखोरी भी हो रही थी।
                    डीएम की जांच रिपोर्ट में बताया गया कि एनिस्थीसिया विभाग के ऑक्सीजन सप्लाई प्रभारी डॉ. सतीष ने भी अपनी ड्यूटी निभाने में लापरवाही बरती। इनकी प्रमुख जिम्मेदारी ये थी कि वे इस बात की जानकारी रखे कि अस्पताल में ऑक्सीजन की सप्लाई बाधित नहीं होने पाए। जांच में यह भी बताया गया कि इन दोनों की यह भी जिम्मेदारी बनती है कि वे ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी की बकाया भुगतान के लिए संबंधित विभाग से संपर्क करते । लेकिन इन्होंने ऐसा नहीं किया। इन पर जांच में आरोप लगाया गया हैं कि ऑक्सीजल सप्लाई करने वाली कंपनी के बार बार बिल भेजने के बाद भी इन दोनां ने उन बिलों के भुगतान में तत्परता नहीं दिखाई ।
                    जांच रिपोर्ट में ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी पुष्पा सेल्स भी जिम्मेदार ठहराई गई है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि ऑक्सीजन जीवन रक्षक गैस है और इससे जुड़े लोगों की जिम्मेदारी बनती है कि वे जीवनरक्षक गैस की सप्लाई बंद नहीं कर सकते । पुष्पा सेल अपने बकाया भुगतान के लिए दूसरे तरीके अपना सकती थी , लेकिन उन्हें जीवन रक्षक गैस की सप्लाई बंद नहीं करनी थी।
                     जांच रिपोर्ट में बाल रोग विभाग के प्रमुख डॉ. कफील खान को लगभग क्लीन चीट दी गई है। ये वही कफील खान है, जिन्होनें अस्पताल में ऑक्सीजन गैस नहीं होने से अपनी गाडी से अन्य अस्पतालों से गैस सिलेंडर अस्पताल लाकर मरीजों को लगाई थी।
                          डीएम ने अपनी जांच रिपोर्ट में इस प्रकरण में लापरवाही बरतने वाले लोगें को दोषी बताने के साथ ही इस मामले को अत्यंत गंभीर मानते हुए इसकी उच्च स्तरीय जांच की भी सिफारिश की है। 
                            अब सरकार  की जिम्मेदारी है कि वह डीएम रिपोर्ट में दोषी पाए गए लोगों के विरूद्ध सख्त कारवाई करें। अभी तक उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री आदित्यनाथ योगी यह कहते आए है कि बिना जांच के किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता और न ही उनके विरूद्ध कोई कारवाई की जा सकती है। अब डीएम की जांच रिपोर्ट सामने आ गई है। अब तो मुख्यमंत्री को तुरंत ही उन लोगों पर कारवाई करना चाहिए जो दोषी पाए गए हैं। इसके साथ ही मुख्यमंत्री को चाहिए कि वें इस मामले की विस्तृत जांच के लिए उच्च स्तरीय जांच भी करवाएँ।
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