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दिव्य धाम आश्रम में श्री कृष्ण जन्माष्टमी के रंगों में रंगा भक्त समूह


 

 अहंमय से कृष्णमय होने का दिया सन्देश

 श्री कृष्ण जन्माष्टमी कार्यक्रम द्वारा आध्यात्मिक रहस्यों को उजागर किया गया

 श्री कृष्ण बहु आयामी व्यक्तित्व के स्वामी

 युग प्रवर्तक भगवान श्री कृष्ण के उपदेशों को जीवन में उतारने का दिया सन्देश

 भगवान श्री कृष्ण की रास लीला विशुद्ध प्रेम का सन्देश

 मन के बंधनों से मुक्त करते है भगवान श्री कृष्ण


दिव्य ज्योति जागृति संस्थान जिसके संस्थापक और संचालक श्री आशुतोष महाराज जी हैं, उनकी असीम अनुकम्पा द्वारा 15 अगस्त 2017 को दिव्य धाम आश्रम में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी और स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में एक संयुक्त कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया गया।
जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लेकर कार्यक्रम की भव्यता को प्रत्यक्ष रूप में अनुभव किया| कार्यक्रम में सर्व श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्य एवं शिष्याओं ने अध्यात्मिक ग्रंथों में वर्णित भगवान श्री कृष्ण के उपदेशों को आई हुई संगत के समक्ष रखा! उन्होंने बताया कि समाज में आज हर एक व्यक्ति स्वतंत्र रूप में जीना चाहता है, आंतरिक और बाहरी रूप से स्वतंत्रता को प्राप्त करना चाहता है, परन्तु शांति न मिलने के कारण आज मानव दुखों से ग्रसित है!
साध्वी जी ने बताया कि द्वापर में एक महान अवतार का प्राकट्य हुआ था, जिन्हें आज संसार भगवान श्री कृष्ण के नाम से पूजता है| उनका संम्पूर्ण जीवन संघर्ष की एक खुली किताब है| जन्म से लेकर देहावसान तक, शायद ही उनके जीवन में कभी सुख-चैन की घड़ियाँ आईं हों| लेकिन अपने बुलंद इरादों से उन्होंने हर विलापमय क्षण को मांगल्य के क्षणों में तब्दील कर दिया| हर ढल चुकी शाम को दोपहर की तरह स्वर्णिम बना दिया! उन्होंने दिखा दिया इस निराशाभरी दुनिया को, कि कैसे सर्प के सिर से जहर की जगह मणि की प्राप्ति की जा सकती है|  कैसे सागर की उफनती लहरों में डूबने की जगह, उन पर तेरा जा सकता है| भगवान कृष्ण ने यही उपदेश दिया कि हर परिस्थिति में हम हौंसला रखते हुए, सकारात्मक सोच रखते हुए फतह को हासिल करें|
लेकिन यह हौंसला और सकरात्मक सोच इंसान के भीतर तभी जन्म लेती है, जब उसका अन्तस् प्रकाशित होता होता है| जब उसकी जाग्रत आत्मा से उसे अध्यात्मिक उर्जा प्राप्त होती है| यह सम्भव है मात्र ब्रह्मज्ञान से! एक पूर्ण सतगुरु हमें ब्रह्मज्ञान प्रदान कर परमात्मा के दिव्य प्रकाश रूप से जोड़ते हैं| फलत: हमारा अन्तस् आलोकिक होता है और हम भगवान श्री कृष्ण की तरह जीने की कला को सीख पातें हैं|
इस अवसर पर आध्यात्मिक नृत्य-नाटिका का प्रदर्शन भी किया गया, जिसने सफलतापूर्वक भक्त श्रद्धालुओं की आंखों को आकर्षित करने के साथ साथ भगवान श्री कृष्ण के सर्वोच्च संदेशों को भी प्रसारित किया। युवाओं और बच्चों ने स्वयंसेवा के माध्यम से इस कार्यक्रम में योगदान दिया।

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