top header advertisement
Home - आपका ब्लॉग << हामिद साहेब आखिरकार आप मुसलमान ही बनकर रह गये

हामिद साहेब आखिरकार आप मुसलमान ही बनकर रह गये



डॉ. चंदर सोनाने
                   उप राष्ट्रपति के पद से निवृत्त होने के दिन अपने विदाई समारोह में संबोधित करते हुए कल 10 अगस्त को श्री हामिद अंसारी ने जो कुछ कहा उससे यही संदेश जाता है कि वे मुसलमान थे और मुसलमान ही बन कर रह गये। उन्होंने अपने विदाई समारोह में कहीं पर भी अपने भारतीय होने का परिचय नहीं दिया। 
                  दस साल तक उपराष्ट्रपति के पद पर रहने वाले श्री हामिद अंसारी ने अपने विदाई समारोह में अंतिम कार्य दिवस पर अल्पसंख्यकों का मुद्दा उठाते हुए कहा कि देश के मुसलमानों में बेचैनी और असुरक्षा की भावना घर कर रही है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि लोकतंत्र की पहचान इसी बात से होती है कि उसमें अल्पसंख्यकों को कितनी सुरक्षा मिली हुई है। उप राष्ट्रपति जैसे संवैधानिक पद पर दो कार्यकाल पूरा करने वाले व्यक्ति को अपनी विदाई वेला में उक्त बात कहना अनेक प्रश्नों को जन्म दे रहा है। हर व्यक्ति इसके अलग अलग मायने निकाल रहा है। 
                   यदि श्री हामिद अंसारी अपने अंतिम कार्य दिवस पर देश की प्रमुख समस्या गरीबी, अशिक्षा , बेरोजगारी , भ्रष्टाचार, सांप्रदायिकता , जातिवाद आदि जैसे मुद्दों को सामने रखते और देशवासियों से मिलकर इन समस्याओं से निजात का आव्हान करते तो उनकी एक अलग ही छवि बनती, पर उन्होंने यह सब नहीं करते हुए मुसलमानों का नेता बनना ज्यादा पसंद किया। मुस्लिमों के रहनुमा बनने के चक्कर में वे कहीं के नहीं रहे। उन्होंने देश की विभिन्न समस्याओं को नजरअंदाज करते हुए केवल मुस्लिमों की तरफदारी कर यह बता दिया कि वे सिर्फ मुस्लिम ही थे और अब भी मुस्लिम ही है।
                    श्री हामिद अंसारी ने अपने कार्यकाल के अतिंम दिन सिर्फ मुसलमानों के हिमायती और उनके नेता बनने का प्रयास किया। उनके ऐसा करते ही वहीं मौजूद प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने उनको माकूल जवाब भी दिया। उन्होंने लोगों को याद दिलाया कि श्री अंसारी के परिवारजनों की खिलाफत मुवमेंट में भी काफी सक्रियता रही है। उनका जीवन भी एक कैरियर डिप्लोमेट का रहा है । उस दौरान वे मुस्लिम देशों में एक कूटनीति की तरह काम करते रहे। वे रिटायरमेंट के बाद भी अल्पसंख्यक कल्याण आयोग के अध्यक्ष और अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में कुलपति भी रहे। आपका दायरा वहीं रहा। लेकिन उन्हें पिछले दस साल के दौरान संविधान के दायरे में रहकर कार्य करना पड़ा। हो सकता हैं कि उनके भीतर कुछ छटपटाहट रही होगी। पर आज के बाद वैसा संकट नहीं रहेगा। मुक्ति का आनंद रहेगा । आपको अपनी मूलभूत सोच के अनुसार कार्य करने का , सोचने का और बात बताने का अवसर भी मिलेगा। प्रधानमंत्री ने बहुत ही कम षब्दों में बहुत बड़ी बात कह दी। समझने वाले सब समझ गए।
                  ऐसे अवसर पर हमें याद आ रहे राष्ट्रपति के पद पर पूरे पांच साल तक निर्विवाद कार्य करने वाले डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम साहेब । उन्होंने अपने पूरे कार्यकाल के दौरान कभी भी , किसी को भी यह अहसास ही नहीं होने दिया कि वे एक मुस्लिम है। उन्होंने अपने पूरे कार्यकाल के दौरान एक सच्चे भारतीय होने का परिचय दिया और देष हित को सर्वोपरि रखा । यही नहीं राष्ट्रपति के अपने सफल कार्यकाल के बाद उन्होंने घर पर बेकार बैठना भी नहीं पसंद किया। उन्होंने एक आदर्श शिक्षक की भूमिका निभाई । राष्ट्रपति के पद से हटने के बाद से लगातार अंतिम समय तक वे देश भर में विद्यार्थियों के बीच जाते रहे और उन्हें देशहित में ही कार्य करने के लिए प्रेरित करते रहे। वे हम सब के आदर्श बन गए। आज उनका नाम पूर्व राष्ट्रपतियों की पंक्ति में अत्यधिक आदर और सम्मान से लिया जाता है। 
--------00000---------
 

 

Leave a reply