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शांति पाना हो तो ईष्र्या पर विजय पाना परम आवष्यक है



      उज्जैन । पूज्य दीदी माॅ मंदाकिनी रामकिंकर जी ने श्री राम कथा के चैथे दिन कहा कि ईष्र्या को बोलचाल की भाषा में जलन कहते है। अपने से अधिक सुखी, संपन्न और सफल व्यक्ति को देखकर यदि हमारे ह्दय में जलन होती है, तो इस दुर्बलता को जलाकर नष्ट कर देना चाहिए नहीं तो वह स्वयं व्यक्ति को ही जलाकर नष्ट कर देती है। ईष्र्या एक एैसी खतरनाक और मानसिक बीमारी है, धार्मिक व्यक्ति भी उससे मुक्त नहीं हो पाते है। 
उक्त विचार मानस मर्मज्ञ पूज्य दीदी माॅ मंदाकिनी श्री रामकिंकर जी ने कथा में हनुमान जी की लंका यात्रा का वर्णन करते हुए कहा कि, स्वर्ण के पर्वत का प्रलोभन त्याग कर शान्ति पाने के उच्चतम लक्ष्य से आगे बढ रहा है उसके जीवन मे सुरक्षा और ईष्र्या की भावना आ जाती है। यष की कामना व्यक्ति को अच्छे परोपकार के कार्य की प्रेरणा देती है। जिससे समाज का हित होता है। इसलिए उसे मिटाना नहीं है पर सिंहिका रूपी ईष्र्या को श्री हनुमान जी पहचानकर तत्काल मिटा देते है। 
कथा के पूर्व मंदिर समिति की ओर से डाॅ. पीयूष त्रिपाठी द्वारा पूज्य दीदी माॅ का स्वागत किया गया। 22 जुलाई को कथा का समापन होगा। 

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