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भवसागर पार करने के लिए अच्छे काम करना चाहिए - मां मंदाकिनी


उज्जैन @ श्री महाकालेश्वर मंदिर के प्रवचन हॉल में आयोजित हो रही श्री रामकथा के दूसरे दिन भक्तों को पूज्य दीदी माॅ मंदाकिनी रामकिंकर द्वारा रामचरित मानस के लंका काण्ड वर्णन का वृत्तान्त सुनाया। जिसमें हमारा शरीर और शरीर से जुडी देहात्म बुद्धि ही सोयोजन समुद्र के समान है। उन्होंने भक्तों को इस संबंध में आगे बताया कि मानव देह भाव से उपर उठाने के लिए व्यक्ति भौतिक युग में अनेक प्रकार के साधनों को स्वीकार करता है। जबकि मनुष्य को जप, तप, उपवास, ध्यान, योग आदि की ओर भवसागर पार करने के लिए अच्छे काम करना चाहिए। देह वृत्ति से उपर उठकर मनुष्य को कार्य करना चाहिए। साधना की भी एक सीमा है और यह एक निश्चित अवधि के बाद फिर हमारा देह पर हावी होने लगता है। दीदी माॅ मंदाकिनी की रामकथा 22 जुलाई तक महाकाल प्रवचन हाॅल में प्रतिदिन शाम 6 बजे से होगी। कथा के पूर्व मंदिर समिति की ओर से सहायक प्रशासनिक अधिकारी श्री एस.पी.दीक्षित आदि द्वारा दीदी माॅ का सम्मान किया गया। संचालन श्री पीयूष त्रिपाठी द्वारा किया गया।

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